3 दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित हो जाएगा. एग्जिट पोल्स में कांग्रेस एक बार फिर सरकार बनाती दिख रही हैं. हालांकि बीजेपी भी कांग्रेस से ज्यादा पीछे नहीं दिख रही. छत्तीसगढ़ की राजनीति समझने वाले मानते हैं कि इसमें बीजेपी की घोषणा-पत्र में किए वादों का असर दिख रहा है. खासकर महिलाओं को लेकर किए गए वादे. इनमें गरीब परिवार की महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलिंडर का वादा भी है. इसी में एक और है- विवाहित महिलाओं को हर महीने आर्थिक सहायता राशि. बीजेपी ने इसके लिए 'महतारी वन्दन योजना' शुरू करने का वादा किया था.
छत्तीसगढ़ चुनाव: क्या है महतारी वंदन योजना, जिससे BJP ने कांग्रेस को बड़ी चुनौती दे दी?
एग्जिट पोल में कांग्रेस और BJP के बीच कांटे की टक्कर नज़र आ रही है. जानकार मानते हैं कि छत्तीसगढ़ चुनाव में बीजेपी की महिलाओं को लेकर इस घोषणा का असर देखने को मिला है.
पहले महतारी का मतलब समझते हैं. जैसे मां को मॉम, मम्मी, माई, अम्मी और माय कहते हैं. उसी तरह छत्तीसगढ़ी भाषा में मां को कहते हैं महतारी. अब जैसे देश भर के लोगों के लिए 'भारत माता' हैं. धरती को हमारे यहां 'धरती मां' कहते हैं. उसी तरह छत्तीसगढ़ में 'छत्तीसगढ़ महतारी'.
क्या बीजेपी को मिला फायदा?भारतीय जनता पार्टी ने 'महतारी वन्दन योजना' के तहत हर विवाहित महिलाओं को सालाना 12 हजार रुपये देने का वादा किया है. यानी हर महीने 1000 रुपये दिए जाएंगे. इसी तरह का वादा बीजेपी ने मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना के तहत किया हुआ है.
इस घोषणा के बाद चुनाव के दौरान कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी पहले ही 'महतारी वन्दन योजना' का फॉर्म भरवा रही है. कांग्रेस ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की. कई जगहों पर फॉर्म भरवाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की भी खबरें आईं.
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राजनीति के जानकार मानते हैं कि छत्तीसगढ़ चुनाव में बीजेपी की इस घोषणा का असर देखने को मिला है. इस घोषणा के बाद कांग्रेस को भी ऐसा ही एलान करना पड़ा. 'छत्तीसगढ़ गृह लक्ष्मी योजना'. ये वादा कांग्रेस के मेनिफेस्टो में नहीं था. ये एलान पहले चरण की वोटिंग के बाद किया. दिवाली यानी 12 नवंबर के दिन. इसके तहत हर साल महिलाओं को 15 हजार रुपये दिये जाने का वादा किया गया. यानी हर महीने 1250 रुपये. बीजेपी से दो कदम आगे.
इंडिया टुडे की रायपुर ब्यूरो हेड सूमी राजप्पन मानती हैं कि चुनाव में बीजेपी की ये रणनीति काम आई. वो बताती हैं,
"कई जगहों पर महिलाओं ने संकेत दिया था कि उनके लिए महतारी वन्दन योजना अहम है. अगर एक परिवार में तीन विवाहित महिलाएं हैं तो उनके घर में तीन हजार रुपये हर महीने आएंगे. पहले चरण के चुनाव में इसका असर देखने को मिला. इस बार महिलाओं का वोटिंग परसेंट भी ज्यादा था."
सूमी कहती हैं कि एक महीने पहले तक बीजेपी लड़ाई में नहीं थी. लेकिन महिलाओं के कारण वो फाइट में आई. वो मानती हैं कि अगर बीजेपी सरकार बना पाती है तो इसके पीछे महतारी वन्दन योजना और भूमिहीन खेतिहर मजदूर को सालाना 10 हजार रुपये देने की घोषणा होगी.
सूमी राजप्पन के मुताबिक, पहले फेज की वोटिंग के बाद कांग्रेस को लगा कि चुनाव उनके हाथ से निकल सकता है तो उन्होंने आखिरी समय में इसी तरह की घोषणा कर दी.
छत्तीसगढ़ महतारी पर राजनीति?पिछले कुछ समय छत्तीसगढ़ महतारी के आसपास पहचान की राजनीति खूब हुई है. पिछले साल भूपेश सरकार ने घोषणा की थी कि हर जिला मुख्यालय में 'छत्तीसगढ़ महतारी' की मूर्ति बनाई जाएगी. सरकार का कहना था कि इसके जरिये राज्य के लोगों को क्षेत्रीय गौरव की भावना को जगाया जाएगा. साथ ही हर सरकारी कार्यालय में भी 'छत्तीसगढ़ महतारी' की तस्वीर लगाने को कहा गया था.
छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर पहली बार अलग छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के दौरान सामने आई थी. इसमें एक महिला साड़ी में, जिनके सिर पर फसलों का मुकुट है और एक हाथ में धान और हंसिया (दरांती). लोग इन्हें राज्य की माता का दर्जा देते हैं. राज्य के कुरुद में छत्तीसगढ़ महतारी का एक मंदिर भी है.
एक इतिहासकार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 1996 के बाद महतारी की पहचान राजकीय रूप से हो गई. उनके मुताबिक,
"वो कोई देवी नहीं है बल्कि राज्य की एक सामूहिक छवि हैं. उनका सिर सरगुजा डिविजन है और उनका पैर सुकमा. वो राज्य के लिए भारत माता की तरह हैं. महतारी स्थानीय लोगों के लिए एक शक्ति का रूप है."
राज्य के मुख्यमंत्री हों या कोई दूसरे नेता, आप हर राजनीतिक मंच पर 'छत्तीसगढ़ महतारी की जय' नारे की गूंज सुन सकते हैं. जानकार कहते हैं कि भूपेश बघेल इसके जरिये सांस्कृतिक 'उप-राष्ट्रवाद' या छत्तीसगढ़ी अस्मिता का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में महतारी शब्द का इस्तेमाल किया. कहा गया कि 'महतारी न्याय योजना' लागू कर महिलाओं को गैस सिलिंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी मिलेगी. ये पैसे सीधे महिला के बैंक खाते में जाएंगे.
छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान हुआ था. पहले 7 नवंबर को 20 सीटों के लिए, फिर दूसरे चरण के तहत 17 नवंबर को 70 सीटों पर वोट डाले गए थे. इस बार वोट प्रतिशत 76.31 फीसदी रहा, जो साल 2018 के मुकाबले थोड़ा कम है. 2018 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग परसेंट 76.88 फीसदी रहा था. उस चुनाव में कांग्रेस को 68 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि BJP ने सिर्फ 15 सीटें अपने नाम की थीं.