दिल्ली चुनाव (Delhi assembly election result) में AAP की हार पर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कथित शराब घोटाला मामले में जमानत मिलने के बाद इस्तीफा देना अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की बड़ी रणनीतिक भूल थी, जिसका खामियाजा उनकी पार्टी को भुगतना पड़ा.
'केजरीवाल ने देर कर दी', प्रशांत किशोर ने AAP की हार का सबसे बड़ा कारण बताया!
Delhi assembly election result: जन सुराज पार्टी के संस्थापक Prashant Kishor का मानना है कि कथित शराब घोटाले में बेल मिलने के बाद इस्तीफा देना अरविंद केजरीवाल की रणनीतिक भूल थी. और इससे चुनाव में उनकी स्थिति कमजोर हुई.

इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि हाल के वर्षों में राजनीतिक रुख में लगातार बदलाव भी उनके खराब प्रदर्शन की एक प्रमुख वजह रही. जैसे कि पहले 'INDIA' ब्लॉक में शामिल होना. और फिर दिल्ली चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला करना. उन्होंने आगे बताया,
AAP की हार की सबसे बड़ी वजह 10 साल की एंटी-इनकंबेंसी थी. जबकि दूसरी और शायद आप की सबसे बड़ी गलती थी केजरीवाल का इस्तीफा. कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार होने के बाद ही उन्हें पद छोड़ देना चाहिए था. लेकिन जमानत मिलने के बाद इस्तीफा देना और चुनाव से पहले किसी और को मुख्यमंत्री बनाना एक बड़ी रणनीतिक भूल साबित हुई.
प्रशांत किशोर ने AAP सरकार की प्रशासनिक विफलताओं को भी इस हार के लिए जिम्मेदार बताया. उनके मुताबिक पिछले साल बारिश के दौरान झुग्गियों में रहने वाले लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. जिसने केजरीवाल सरकार की कार्यशैली को सवालों के घेरे में ला दिया. और ये उनके लिए नुकसानदायक साबित हुआ.
प्रशांत किशोर की मानें तो ये हार अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली से हटकर दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी के विस्तार का एक अवसर हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस स्थिति के दो पहलू हैं. AAP के लिए दिल्ली में फिर से राजनीतिक वर्चस्व हासिल करना बेहद मुश्किल होगा. लेकिन अरविंद केजरीवाल अब गवर्नेंस की जिम्मेदारियों से मुक्त हैं. वह इस समय का फायदा उठाकर गुजरात जैसे राज्यों में अपनी पार्टी को मजबूत कर सकते हैं, जहां पिछले चुनावों में आप का प्रदर्शन बढ़िया रहा था.
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 48 सीट जीतकर 27 साल बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है. वहीं साल 2020 में 62 और 2015 में 67 सीट जीतने वाली AAP की सीटें घटकर 22 रह गईं. जबकि कांग्रेस लगातार तीसरी बार खाता खोलने में असफल रही.
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