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ट्रेन हादसे में हाथ-पैर कट गए, अब UPSC रिजल्ट देख दुनिया सूरज को सलाम ठोक रही

UPSC 2022 के परिणामों की घोषणा के बाद कई उम्मीदवारों के संघर्ष की कहानियां चर्चा में हैं. लेकिन मैनपुरी के सूरज तिवारी की मिसाल मिलना मुश्किल है.

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सूरज तिवारी की हादसे से पहले और हादसे के बाद की फोटो. (आजतक/पुष्पेंद्र सिंह)

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार, 23 मई को सिविल सर्विस परीक्षा 2022 के परिणामों की घोषणा की. इस बार 933 ऐस्पिरेंट ने ये एग्जाम क्रैक करने में कामयाबी हासिल की है. इनमें से कई उम्मीदवारों के संघर्ष की कहानियां बीते 24 घंटों से चर्चा में हैं. लेकिन मैनपुरी के सूरज तिवारी की मिसाल मिलना मुश्किल है. UPSC 2022 की परीक्षा में भले उनकी रैंक 917 आई है, लेकिन जिस हालत और हालात में उन्होंने पढ़ाई कर ये मुकाम हासिल किया है वो अपनेआप में अविश्वसनीय है.

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी के दोनों पैर नहीं हैं. एक हाथ भी नहीं है. और दूसरे हाथ में सिर्फ 3 उंगलियां हैं. 6 साल पहले एक हादसे में उन्होंने शरीर के ये बेहद जरूरी अंग खो दिए. ये जानने के बाद सूरज की कामयाबी ने हर किसी के होश उड़ा रखे हैं. लेकिन कहानी अभी शुरू हुई है.

सूरज तिवारी - 917 रैंक

बात 2017 की है. एक ट्रेन हादसे में सूरज को गंभीर चोटें आई थीं. इतनी कि उन्हें अपने दोनों पैर, एक हाथ गंवाना पड़ा. जो दूसरा हाथ बचा, उसकी भी दो उंगलियां कट गईं.

इस हादसे ने वैसे ही सूरज और उनके परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया था. लेकिन अभी एक और गाज गिरने वाली थी. कुछ ही समय बाद सूरज के एक भाई की मौत हो गई. इससे घर की माली हालत और खराब हो गई. सूरज के पिता राजेश तिवारी टेलर मास्टर हैं. मैनपुरी के कुरावली गांव में एक छोटी सिलाई की दुकान चलाते हैं. एक बेटे के हादसे में हाथ-पैर चले गए. दूसरा बेटे की मौत हो गई. इसके बाद राजेश तिवारी की भी मानसिक हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.

लेकिन सूरज ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने UPSC की परीक्षा देने का इरादा किया. इसके लिए पूरी शिद्दत से तैयारी की. आजतक से जुड़े पुष्पेंद्र सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक सूरज हर दिन 18 से 20 घंटे पढ़ाई करते थे. परीक्षा के लिए कोचिंग की फीस देना उनके लिए संभव नहीं था. यानी उन्होंने बिना किसी कोचिंग या एक्सट्रा क्लास के ये कारनामा कर दिखाया है. पढ़ाई के लिए उन्हें सरकार से जरूर मदद मिली.

आजतक से बात करते हुए सूरज के पिता राजेश कहते हैं,

“2017 में ट्रेन से हादसा हो गया था. किसी बच्चे या किसी ने उसे धक्का मार दिया था. चारों हाथ-पैर कट गए थे उसके. पुलिसवाले उसको दिल्ली के एम्स (AIIMS) ले गए. उसका इलाज करवाया. चार महीने वहां रहे हम. वहीं उसकी एक लड़के से मुलाकात हुई, जिसने उसकी पढ़ाई में मदद की. वो जेएनयू की परीक्षा में पहली बार फेल हुए, पर दूसरी बार क्वालिफाई कर गए. उसके बाद उन्होंने वहां पढ़ाई की और तैयारी की. शुरुआत में सिर्फ पढ़ाई थी. इसलिए कमाते थे और पढ़ाई में लगाते थे. उसके बाद एक्सीडेंट हो गया, फिर सरकार ने उसकी पढ़ाई का ज़िम्मा ले लिया. सरकार ने पढ़ाया उसको. पूरी गांव को खुशी हुई है. पूरी बस्ती को खुशी हुई है. कई लोग आएं.”

राजेश तिवारी ने बताया कि परिणाम जारी होने के बाद सूरज से मिलने एसडीएम समेत कई लोग आए. बेटे के एक्सीडेंट के बाद उन्होंने नहीं सोचा था कि कभी ऐसा कुछ होगा. उन्होंने कहा,

''हमने नहीं, पर उसने तो सोचा था. उसने कहा था कि पापा आप चिंता मत करो, अभी तो तीन उंगली है, अगर एक उंगली भी होती, तो भी हम आपका नाम नीचे नहीं गिराएंगे. और आज उसने वही करके दिखा दिया."

आजतक ने सूरज की मां आशा तिवारी से भी बात की. उन्होंने कहा,

“पढ़ने में सूरज शुरू से ही काफी तेज थे. बड़ा आदमी बनने की काफी तमन्ना थी. जनवरी 2017 को उनके साथ ये हादसा हो गया. इसके बाद चीज़ें बिखर गई थीं. बड़े बेटे के गुजरने के बाद काफी दिक्कतें आ गई थीं. फिर इनका (सूरज का) जेएनयू में एडमिशन हो गया. पहले कुरावली से ही पढ़ाई की. फिर मैनपुरी में चार साल पढ़ाई की और फिर दिल्ली चले गए. सबसे पहले बेटे ने ही फोन किया. वो मुझसे हर बात शेयर करता है.”

सूरज तिवारी ने 12वीं के बाद बीएससी की पढ़ाई शुरू की थी. उसी दौरान जनवरी 2017 में गाजियाबाद में उनके साथ ट्रेन हादसा हुआ. लेकिन सूरज ने पढ़ने के अपने जज्बे को जिंदा रखा. 2021 में उन्होंने दिल्ली के जेएनयू से बीए किया. फिर बाद में एमए की भी डिग्री ली. इसी दौरान उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी भी की थी.

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