उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने छात्रों के लगातार प्रदर्शन (UPPSC Protest) के बाद PCS परीक्षा में एक दिन में कराने की मांग मान ली है. हालांकि अभी परीक्षा की अगली डेट का एलान नहीं किया गया है. इसके अलावा, RO/ARO परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है. आयोग का कहना है कि अब दोनों परीक्षाओं को लेकर जल्द ही नोटिफिकेशन निकाला जाएगा. सरकार ने RO/ARO एग्जाम को लेकर एक नई कमेटी बनाने की बात कही है.
UPPSC: प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग मानी गई, अब एक ही दिन होगी PCS की परीक्षा
यूपी के प्रयागराज में UPPSC के बाहर RO/ARO और PCS परीक्षाओं के सैकड़ों प्रतियोगी छात्र 11 नवंबर से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
यूपी के प्रयागराज में UPPSC के बाहर RO/ARO और PCS परीक्षाओं के सैकड़ों प्रतियोगी छात्र 11 नवंबर से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों की मांग थी कि एक दिन में परीक्षा आयोजित कराई जाए और नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को समाप्त की जाए. UPPSC सचिव अशोक कुमार ने प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात की. इस मसले पर CMO का बयान आया है. इसके अनुसार,
“आयोग एक दिन में PCS की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित करेगा. RO/ARO (प्री.) परीक्षा-2023 के लिए आयोग ने एक समिति का गठन किया है. कमेटी सभी पहलुओं पर विचार कर जल्द ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी.”
वहीं, प्रयागराज के डीएम रवीन्द्र कुमार ने प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात कर उन्हें संबोधित किया. उन्होंने भी कहा कि आयोग जल्द ही PCS परीक्षा की तारीख बताएगी. हालांकि, नई तारीख क्या होगी, ये अभी सामने नहीं आया है.
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किस बात को लेकर छात्रों ने किया विरोध?PCS परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को आयोजित होनी थी. जबकि RO/ARO परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को प्रस्तावित थी. लेकिन सरकार के नए फैसले के बाद अब नए डेट की घोषणा की जाएगी. छात्रों के विरोध की शुरुआत हुई 5 नवंबर से जब UPPSC ने परीक्षाओं को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन जारी होते ही एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. उसी दिन सड़कों पर उतर गए. वजह थी परीक्षा का आयोजन एक दिन के बदले दो दिन में करना. और इसके कारण होने वाले नॉर्मेलाइजेशन का विरोध.
जब एक ही एग्जाम अलग-अलग दिन होंगे तो उसके लिए अलग-अलग प्रश्न पत्र होंगे. इसमें ज्यादा आशंका है कि एक के मुकाबले दूसरा प्रश्न पत्र कठिन हो. इसी अंतर को पाटने के लिए नॉर्मेलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसका उद्देश्य है कि अलग-अलग प्रश्न पत्र होने के कारण किसी छात्र को फायदा या नुकसान ना हो. लेकिन छात्रों का आरोप है कि सरकार ने जो प्रक्रिया अपनाई है वो साइंटिफिक नहीं है. छात्रों को डर था कि नॉर्मेलाइजेशन से पारदर्शिता शून्य हो जाएगी, और इससे पता ही नहीं चलेगा कि उन्हें कितने नंबर मिले.
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