The Lallantop

यूपी की 69000 शिक्षक भर्ती की नई मेरिट लिस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, यूपी सरकार तलब

UP 69000 Assistant Teacher merit list: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 अगस्त के आदेश को पलटते हुए ये निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने पुरानी भर्ती लिस्ट रद्द कर दी थी.

post-main-image
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पक्षकारों से अधिकतम सात पन्नों में लिखित दलील देने को कहा है. (फोटो- आजतक/X)

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती (UP Assistant Teacher recruitment) की नई मेरिट बनाने पर फिलहाल रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को पलटते हुए भर्तियों की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने तब तक यूपी सरकार समेत सभी पक्षों को लिखित में अपनी दलीलें पेश करने को कहा है.

सोमवार, 9 सितंबर को मामले की सुनवाई शुरू हुई तो अदालत में काफी भीड़ दिखी. ये देख CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,

“मामले में इतनी ज्यादा भीड़! इसे कहते हैं पहले से तैयारी वाली लामबंदी. हाई कोर्ट के फैसले की गहन समीक्षा के लिए समय चाहिए.”

कोर्ट ने मामले के पक्षकारों से अधिकतम सात पन्नों में लिखित दलील देने को कहा है. मामले के लिए 2 नोडल वकील तय किए गए हैं.

इससे पहले 16 अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी. बेंच ने सरकार को सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट नए सिरे से जारी करने का आदेश भी दिया था. बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करने को कहा गया था.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने सरकार को आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने का भी आदेश दिया था. हाई कोर्ट के इस आदेश से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा था. अनुमान लगाया जा रहा था कि नई चयन सूची तैयार होने के कारण पिछले 4 वर्षों से सेवा दे रहे हजारों शिक्षक बाहर हो जाएंगे.

क्या है मामला?

दरअसल, सहायक शिक्षक भर्ती के लिए सरकार ने 1 जून, 2020 को लिस्ट जारी की थी. इसके बाद शिक्षक भर्ती में आरक्षण कोटे को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 19 हजार अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती में जारी कटऑफ से 65 प्रतिशत ज्यादा अंक प्राप्त किए थे. इसके बावजूद इन अभ्यर्थियों को सामान्य कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया था. इन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया आरक्षित कोटे में ही पूरी कर दी गई थी. जो कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन था. भर्ती को लेकर छात्रों ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किए. 

जनवरी 2024 में प्रदर्शन में शामिल अभ्यर्थी विजय कुमार ने आजतक को बताया कि 2019 की 69 हजार शिक्षक भर्तियों की लिस्ट में आरक्षण का घोटाला किया गया. 29 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग की रिपोर्ट आई. इसमें माना गया कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण घोटाला किया गया है. उन्होंने बताया,

“69 हजार शिक्षकों को नियुक्ति देने के लिए चयन सूचियां बनाई गईं. जिन आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित पदों पर होना चाहिए था, उनको जबरन आरक्षित कोटे में डाल दिया गया. इससे हमारे जैसे अभ्यर्थी, जो अपने कोटे में चयन पाते, प्रक्रिया से बाहर हो गए. 69 हजार का 27% - 18,598 सीटें आरक्षित वर्ग की बनती थीं. लेकिन इसकी 6,800 सीटों पर उनकी भर्ती हुई, जिनका चयन अनारक्षित पदों के लिए होना था. इसको लेकर हम लोगों ने आंदोलन शुरू किया. और 29 अप्रैल 2021 को आई राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग की रिपोर्ट को लागू करवाने के लिए भी हमने लंबा आंदोलन किया, तब जाकर 23 दिसंबर, 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमारी सारी समस्याओं को सुना."

यूपी सरकार ने दिसंबर, 2018 में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. परीक्षा जनवरी, 2019 में आयोजित की गई. भर्ती में 4 लाख 10 हजार उम्मीदवारों ने भाग लिया था. करीब 1 लाख 40 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में सफल हुए थे, जिनकी मेरिट लिस्ट जारी की गई थी. मेरिट लिस्ट आते ही विवाद सामने आ गया, क्योंकि जो अभ्यर्थी आरक्षण के कारण अपना चयन तय मान रहे थे उनका नाम लिस्ट में नहीं था. इसके बाद हजारों अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

वीडियो: Lucknow: UP 69000 Assistant Teacher भर्ती मामले में पुलिस ने क्या बताया?