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"VC बिना सूचना हॉस्टल में घुसे, गंदी बातें कीं", पंजाब की लॉ यूनिवर्सिटी में चल क्या रहा है?

RGNUL Students Protest against VC: फिलहाल लॉ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स भूख हड़ताल पर हैं. यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट छात्रों से बातचीत कर मामले को सुलझाने में लगा हुआ है, लेकिन छात्रों की सिर्फ एक ही मांग है कि VC अपने पद से इस्तीफा दें.

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छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए 1 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी ने छात्रों के साथ गतिरोध खत्म करने के लिए दो सदस्यों की कमिटी बनाई है. (फोटो- दी लल्लनटॉप)

पंजाब के पटियाला की राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर और स्टूडेंट्स के बीच बीते लगभग दो हफ्ते से विवाद चल रहा है. वाइस चांसलर पर अचानक गर्ल्स हॉस्टल की चेकिंग करने का आरोप है. छात्राओं का आरोप है कि वीसी के साथ कोई महिला स्टाफ नहीं था. उन्होंने न केवल बिना बताए हॉस्टल में घुसकर छात्राओं की ‘प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन’ किया, बल्कि छात्राओं के कपड़ों को लेकर ‘भद्दे कॉमेंट्स’ भी किए. स्टूडेंट्स की डिमांड है कि वीसी को तुरंत उनके पद से हटाया जाए.

राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ (RGNUL) में पिछले 15 दिनों से चल रहा ये पूरा विवाद क्या है, विस्तार से समझते हैं.

RGNUL के वाइस चांसलर प्रोफेसर जय शंकर सिंह और छात्राओं के बीच हुए इस विवाद की शुरुआत 22 सितंबर को हुई. आरोप है कि वीसी कथित तौर पर फर्स्ट और थर्ड ईयर की छात्राओं के हॉस्टल में बिना किसी पूर्व सूचना के घुस गए. छात्राओं का ये भी कहना है कि जिस वक्त वीसी उनके हॉस्टल में घुसे थे, उनके साथ कोई महिला स्टाफ भी नहीं था. प्राइवेसी के अधिकारों का उल्लंघन किए जाने के विरोध में छात्राओं ने 22 सितंबर की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे से वीसी रेजिडेंस के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया.

उनका ये भी आरोप था कि छात्राएं जिन कपड़ों में होती हैं, वीसी उन पर कॉमेंट्स करते हैं. छात्राएं 'नॉट योर डॉटर' के पोस्टर लेकर धरना प्रदर्शन करने पहुंची थीं. यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर ‘दी लल्लनटॉप’ को बताया,

“हॉस्टल के नियमों के अनुसार सिर्फ लड़कियों को ही अंदर आने की इजाजत हैं. यहां तक कि हमारे माता-पिता को भी एंट्री नहीं दी जाती है. बिना सूचना के हॉस्टल में घुसना हमारी प्राइवेसी का उल्लंघन है, खासकर इसलिए क्योंकि ये हमारा निजी स्थान है. यहां पर अक्सर हम उस तरह के कपड़ों में नहीं होते कि हम किसी भी पुरुष सदस्य से मिल सकें.”

छात्राओं ने आगे दावा किया कि उनके विरोध किए जाने के बाद हॉस्टल में चीफ वार्डन और एक महिला सुरक्षा गार्ड वीसी के साथ आईं. स्टूडेंट ने बताया,

"वीसी न केवल फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स के हॉस्टल में घुसे, बल्कि वो थर्ड ईयर की छात्राओं के कमरों में भी गए. अगर उनका इरादा केवल फर्स्ट ईयर के छात्राओं को प्रभावित करने वाले स्पेस संबंधी मुद्दों को संबोधित करना था, तो उन्होंने थर्ड ईयर की छात्राओं के कमरों में प्रवेश क्यों किया. वो तो एक अलग ब्लॉक में रहती हैं."

छात्राओं का आरोप- पहले भी ‘गलत’ टिप्पणियां की थीं

स्टूडेंट्स का ये भी दावा है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि वीसी को सवालों के घेरे में खड़ा किया जा रहा है. नाम न बताने की शर्त पर कई छात्राओं ने आरोप लगाया कि मार्च में वीसी नियुक्त किए जाने बाद से उन्होंने कई मौकों पर सेक्सिस्ट और असंवेदनशील टिप्पणियां की हैं. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे एक लेटर में छात्राओं ने बताया कि वीसी पहले भी कई मामलों में मॉरल पुलिसिंग करते हुए नज़र आए हैं. यहां बता दें कि चीफ जस्टिस लॉ यूनिवर्सिटी के एक्स-ऑफिशियो चांसलर भी हैं. लल्लनटॉप को एक अन्य छात्रा ने बताया कि वीसी उन सभी से कहते थे,

“लड़की हो डोमेस्टिक वॉयलेंस या मैरिज जैसा एक्ट उठाओ और आराम से घर पर कोर्स करो. क्यों इतना कठिन और नया टॉपिक लेती हो.”

यही नहीं वीसी ने कथित तौर पर एक बार कुछ छात्राओं के पहनावे पर सवाल उठाते हुए कहा था,

“तुम्हारे मां-बाप तुम्हें पैसे देते हैं ऐसे कपड़े पहनने के लिए?”

कई छात्राओं का आरोप है कि यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने उनके प्रदर्शन को दबाने के लिए उनके पेरेंट्स को कॉल किए. स्टूडेंट्स का दावा है कि 26 सितंबर को कॉल कर उनके माता-पिता को चेतावनी दी गई थी कि अगर स्टूडेंट्स विरोध प्रदर्शन में भाग लेना जारी रखते हैं, तो उनके बच्चों को यूनिवर्सिटी से निकाल दिया जाएगा. इतना ही नहीं, कथित तौर पर स्टूडेंट्स का भविष्य बर्बाद करने की बात भी पेरेंट्स से कही गई.

वीसी ने सभी आरोपों से इनकार किया है

वीसी जय शंकर सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. लल्लनटॉप से बात करते हुए सिंह ने बताया,

“मैं 28 साल इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में रहा, वहां कभी किसी ने मेरे ऊपर किसी भी तरह के सवाल नहीं उठाए. 65 साल की उम्र में कोई मुझ पर ऐसे आरोप क्यों लगाएगा? बाकी छात्र जो भी आरोप लगा रहे हैं, उसकी जांच की जा रही है. जो भी…सब सामने आ जाएगा.”

वीसी जय शंकर ने बताया कि पढ़ाई के लिए जो छात्र सीरियस हैं, उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं है. छात्रों को चाहिए कि वो बिना किसी सूचना के यूनिवर्सिटी के बाहर जाएं, घूमें और मौज करें. वीसी ने बताया,

“हाल ही में यूनिवर्सिटी के चार छात्रों की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. छात्र चाहते हैं कि उन्हें किसी भी चीज के लिए टोका ना जाए. यूनिवर्सिटी के अंदर हर तरह का सामान मिलता है. बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है. फिर भी छात्र चाहते हैं कि वो दोपहर 12 बजे यूनिवर्सिटी के बाहर जाएं और रात को 12 बजे लौटें. ऐसा नहीं किया जा सकता.”  

वीसी ने छात्रों के पेरेंट्स को कॉल करने पर बताया कि उन्होंने कोई भी कॉल नहीं की. ये सब सिर्फ झूठे आरोप हैं. उन्होंने बताया कि हर बैच के कुछ स्टूडेंट्स विरोध कर रहे हैं. बाकी क्लासरूम में पढ़ाई कर रहे हैं. वीसी ने बताया कि उन्होंने किसी के कपड़ों पर कोई कॉमेंट नहीं किया. कुछ चुनिंदा स्टूडेंट्स की तरफ से झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं.

प्रदर्शन के बीच 29 सितंबर को यूनिवर्सिटी ने छात्रों के कैंपस से बाहर निकलने के समय में ढील दी. अब स्टूडेंट्स सुबह 6 बजे से रात 8 बजे के बीच बाहर आ-जा सकते हैं. पहले छात्रों को शाम 4 बजे से रात 8 बजे के बीच ही कैंपस से बाहर आने- जाने की इजाजत थी.

कमिटी बनाई गई, लेकिन स्टूडेंट्स खुश नहीं

छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए 1 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी ने छात्रों के साथ गतिरोध खत्म करने के लिए दो सदस्यों की कमिटी बनाई. डॉक्टर बीआर आंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, सोनीपत की वाइस चांसलर प्रोफेसर अर्चना मिश्रा और डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन, भोपाल की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह को इसका सदस्य बनाया गया है. लेकिन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि कमिटी में छात्र संगठन का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है.

छात्रों को मिला कई नेताओं का समर्थन

छात्रों के इस मुद्दे पर राजनीतिक महकमे के लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आईं. पंजाब महिला आयोग की चेयरपर्सन राज लाली गिल पटियाला स्थित यूनिवर्सिटी पहुंचीं. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि जल्दी ही इस मामले को हल कर लिया जाएगा. स्टूडेंट्स की शिकायतें सुन ली गई हैं. वाइस चांसलर से मुलाकात भी हुई है.  

इससे पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आंदोलनकारी छात्रों से बात की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार उनके हितों की रक्षा और न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार से रिपोर्ट तलब भी की थी. बैंस ने कहा कि स्टूडेंट्स के साथ पूरा इंसाफ होगा.

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी छात्रों का समर्थन किया. X पर पोस्ट में उन्होंने लिखा,

“ये पढ़कर दुख होता है कि पटियाला के RGNUL को उस समय बंद कर दिया गया है, जब छात्रों ने कुलपति के इस्तीफे की मांग की है. पहले आधी रात के बाद शराब पीने की जांच करने के लिए यूनिवर्सिटी के वीसी ने लड़कियों के छात्रावास का औचक निरीक्षण किया. महिलाओं पर अपमानजनक टिप्पणी की. ये चौंकाने वाली बात है कि एक लॉ यूनिवर्सिटी के वीसी को अपने छात्रों के निजता के संवैधानिक अधिकार के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है.”

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी X पर पोस्ट डालकर अपनी बात रखी. उन्होंने लिखा,

“पटियाला के राजीव गांधी लॉ यूनिवर्सिटी में वीसी का बिना छात्राओं को सूचित किए अचानक उनके कमरों में घुसकर चेकिंग करना और लड़कियों पर पहनावे को लेकर अभद्र टिप्पणी करना अत्यंत शर्मनाक है. छात्राओं ने मीडिया से जो बातें कही हैं, वे बेहद आपत्तिजनक हैं. लड़कियां अपने खान-पान, पहनावे और कोर्स के चयन का फैसला करने में खुद सक्षम हैं. अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए मॉरल पुलिसिंग और लड़कियों की निजता का उल्लंघन अस्वीकार्य है.”

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि महिला आयोग को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और कुलपति महोदय पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

फिलहाल यूनिवर्सिटी के छात्र भूख हड़ताल पर हैं. यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट छात्रों से बातचीत कर मामले को सुलझाने में लगा हुआ है. लेकिन छात्रों की सिर्फ एक ही मांग है कि वीसी अपने पद से इस्तीफा दें.

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