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MP पुलिस भर्ती 2023 के लिए खूब तैयारी की, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में कई अभ्यर्थी बाहर हो गए

भर्ती परीक्षा में शामिल कई अभ्यर्थियों को रोजगार पंजीयन न होने के कारण डिसक्वालीफाई किया जा चुका है जिस पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई है.

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मध्य प्रदेश पुलिस की आरक्षक भर्ती परीक्षा 2023 में कुल पदों की संख्या 7090 थी. (फोटो- MP पुलिस वेबसाइट)

मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2023 (Madhya Pradesh police recruitment 2023) में इन दिनों फिजिकल टेस्ट और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया चल रही है. भर्ती परीक्षा में शामिल कई अभ्यर्थियों को रोजगार पंजीयन न होने के कारण डिसक्वालीफाई किया जा चुका है. जबरन बाहर किए गए अभ्यर्थी अपने साथ अन्याय होने का दावा कर रहे हैं, और भर्ती परीक्षा को लेकर न्याय की बात कर रहे हैं.

मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा से जुड़ा ये मामला क्या है, विस्तार से समझते हैं.  

मध्यप्रदेश पुलिस की आरक्षक भर्ती परीक्षा 2023 के लिए नोटिफिकेशन 26 जून, 2023 को जारी किया गया था. परीक्षा भोपाल स्थित कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित कराई जाती है. तीन तरह के पदों के लिए वेकेंसी जारी की गई थी.

आरक्षक सामान्य ड्यूटी- विशेष सशस्त्र बल,
आरक्षक सामान्य ड्यूटी- विशेष सशस्त्र बल को छोड़कर,
और आरक्षक सामान्य ड्यूटी- रेडियो ऑपरेटर.

कुल पदों की संख्या 7090 थी.

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कुल पदों की संख्या 7090 थी.

आयोग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक परीक्षा के लिए अप्लाई करने की आखिरी डेट 10 जुलाई, 2023 थी. 12 अगस्त, 2023 से कई दिनों तक और दो-दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित की गई. लिखित परीक्षा में पास हुए अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी हुआ मार्च 2024 में. इसके बाद बारी आई फिजिकल टेस्ट और डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन की. 16 अक्टूबर, 2024 से ये प्रक्रिया चालू हुई. इसी दौरान कई अभ्यर्थियों को तय समयसीमा के अनुसार रोजगार पंजीयन न होने के कारण डिसक्वालीफाई कर दिया गया. एक अभ्यर्थी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर लल्लनटॉप को बताया,

“परीक्षा के लिए पिछले कई सालों से मैंने लग कर तैयारी की. लिखित परीक्षा पास की. फिजिकल के लिए भी खूब मेहनत की. लेकिन जब फिजिकल के बाद डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन की बारी आई, तो रोजगार पंजीयन की वजह से मुझे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. मेरे पास 10 जुलाई, 2023 के बाद का पंजीयन मौजूद था, लेकिन आयोग ने उसे अमान्य घोषित कर दिया. ये हमारे साथ किया गया अन्याय है.”

छतरपुर के रहने वाले एक अन्य अभ्यर्थी ने अपनी पहचान गुप्त रखने पर हमें बताया,

“मेरे पास पहले का रोजगार पंजीयन मौजूद था. साल 2022 में उसकी अवधि खत्म हो गई. क्योंकि फॉर्म भरे जाने के वक्त उसमें कोई तारीख मौजूद नहीं थी, तो मुझे लगा कि बाद का पंजीयन चल जाएगा. मैंने इस साल नया रोजगार पंजीयन बनवाया. लेकिन अब आयोग उसे भी मानने को तैयार नहीं है.”

भर्ती नोटिफिकेशन में कोई तारीख नहीं बताई गई

रोजगार पंजीयन को लेकर बाहर किए जा रहे अभ्यर्थी किस तारीख की बात कर रहे हैं, ये भी बता देते हैं. दरअसल 26 जून, 2023 को जारी किए गए भर्ती नोटिफिकेशन के मुताबिक फॉर्म भरे जाने की आखिरी तारीख 10 जुलाई, 2023 थी. इस तारीख तक कई अभ्यर्थियों का पंजीयन एक्टिव नहीं था, लेकिन आवेदन भरने के पूर्व आवेदकों ने रोजगार पंजीयन के लिए आवेदन दिया था. इनमें से कई का रजिस्ट्रेशन आगे के महीनों में हुआ, तो कई का रिनुअल देरी से हुआ.

भर्ती परीक्षा के नोटिफिकेशन फॉर्म के पॉइंट 3(ii) के मुताबिक,

“12 मई, 2017 के अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ कैटेगरी के सभी पदों के लिए मध्यप्रदेश राज्य के रोजगार कार्यालय में 'जीवित पंजीयन' होना अनिवार्य था.”

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नोटिफिकेशन फॉर्म पॉइंट 3(ii).

इस पॉइंट में रोजगार पंजीयन को लेकर कोई तारीख नहीं बताई गई है. वहीं पॉइंट 3(iv) के मुताबिक 10 जुलाई, 2023 की तारीख तक अभ्यर्थियों के पास आयु एवं उसमें छूट, शिक्षा और होगमार्ड/भूतपूर्व सैनिक के प्रमाण पत्र होना अनिवार्य था. माने इन डॉक्यूमेंट्स के लिए आयोग ने एक तारीख तय की थी. नोटिफिकेशन के पॉइंट 17[ii(ट)]- प्रमाण पत्रों की जांच- में सिर्फ ‘मध्यप्रदेश का जीवित रोजगार पंजीयन’ लिखा गया है. यहां भी कोई तारीख नहीं बताई गई है.

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नोटिफिकेशन फॉर्म पॉइंट 3(iv).
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नोटिफिकेशन के पॉइंट 17[ii(ट)].
हाई कोर्ट ने पंजीयन को अनिवार्य बताया था

रोजगार पंजीयन का वैलिड डॉक्यूमेंट न होने के चलते बाहर किए गए अभ्यर्थी इन्हीं पॉइंट्स का हवाला दे रहे हैं. उनका आरोप है कि उनके साथ ‘अन्याय’ किया जा रहा है. भर्ती परीक्षा में शामिल अभ्यर्थी मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दे रहे हैं.

दरअसल, हाई कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि किसी भी भर्ती प्रक्रिया में रोजगार कार्यालय का 'जीवित पंजीयन' होना अनिवार्य नहीं है. नवंबर 2023 में जस्टिस जीएस आहलूवालिया की बेंच ने जेल प्रहरी भर्ती प्रक्रिया से वंचित किए गए अभ्यर्थी की याचिकाकर्ता पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता सुशील कुमार शर्मा ने जेल प्रहरी भर्ती के लिए आवेदन किया था. लेकिन एमपी व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड और रोजगार निदेशालय ने उन्हें रोजगार कार्यालय में 'जीवित पंजीयन' न होने के कारण बाहर कर दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दोहराया कि सार्वजनिक रोजगार के लिए रोजगार कार्यालय में लाइव रजिस्ट्रेशन आवश्यक नहीं है, भले ही ऐसा प्रतिबंध संबंधित विज्ञापन में स्पष्ट रूप से दिया गया हो.

फिर से कोर्ट जाने की तैयारी

फिलहाल, मध्यप्रदेश पुलिस की आरक्षक भर्ती परीक्षा 2023 के अभ्यर्थी कोर्ट के इसी फैसले के आधार पर अपने साथ हुए अन्याय की बात कर रहे हैं. सैकड़ों अभ्यर्थी इस भर्ती को लेकर भी कोर्ट में याचिका डालने का फैसला कर चुके हैं.

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