देशभर में जातिवाद को लेकर हमेशा से विरोध होता रहा है. लोगों के बीच बनी इस खाई को दूर करने के लिए अब जाति प्रथा की पढ़ाई कराई जाएगी. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी IIT बॉम्बे इसे लेकर एक कोर्स शुरू करने जा रहा है. इस कोर्स को शुरू करने के पीछे जाति के प्रति जागरूकता पैदा करना मकसद है. ये एक अनिवार्य कोर्स होगा. ये अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सेल द्वारा की गई पहली पहल है. सेल का मानना है कि ऐसा करने से जातीय भेदभाव खत्म करने में मदद मिलेगी.
जाति जागरूकता की पढ़ाई होगी जरूरी! IIT बॉम्बे ने तैयार किया कोर्स
देश में फैले जातिवाद को खत्म करने के लिए IIT बॉम्बे ने यह कोर्स तैयार किया है
इस कोर्स को लेकर IIT बॉम्बे ने कहा है कि सेल द्वारा हाल ही में एक सर्वे किया गया. इसका मकसद ये समझना था कि स्टूडेंट्स को जाति विभाजन को लेकर किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही सर्वे में जाति और नस्लीय भेदभाव पर एक एकेडमिक कोर्स बनाने पर जोर दिया गया.
जेंडर संवेदीकरण कोर्स की तर्ज पर शुरूआतपिछले साल शुरू किए गए अनिवार्य जेंडर संवेदीकरण कोर्स की तर्ज पर ही यह जाति जागरुकता कोर्स तैयार करने को कहा गया है. सेल में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर भरत अडसुल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मधु एन बेलूर संयोजक और सह-संयोजक के रूप में शामिल हैं.
इस कोर्स को लेकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सेल का कहना है कि इससे जाति भेदभाव से जुड़ी शिकायतों को कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही जाति आधारित टिप्पणियों पर भी रोक लगेगी और वातावरण में सौहार्द की स्थिति पैदा होगी.
टीवी9 की खबर के मुताबिक सेल ने जाति के संदर्भ में आने वाली कठिनाइयों और उनके पीछे की वजहों पर पहली बार खुली चर्चा का भी आयोजन किया. इस दौरान बैठक में लगभग 100 प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी राय रखी. जिसमें सामने आया कि छात्रों को सीटों के आरक्षण से संबंधित ताने का शिकार होना पड़ा. IIT के प्रोफेसर्स का मानना है कि जातियों को लेकर उनका यह नया कोर्स जातियों के बारे में गलत सोच रखने वाले लोगों में जागरुकता पैदा करेगा जिससे समाज में एक अच्छा माहौल बनेगा.