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सरकार ने खत्म की 'नो डिटेंशन पॉलिसी', अब 5वीं और 8वीं क्लास में फेल मतलब फेल

नया नियम केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित 3000 से अधिक केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों पर लागू होगा.

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नो डिटेंशन पॉलिसी पर सरकार ने ये भी बताया कि टीचर्स ऐसे स्टूडेंट्स के लर्निंग आउटकम्स में सुधार लाने के लिए उन्हें अतिरिक्त मार्गदर्शन प्रदान करेंगे. (फोटो- PTI)

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने का फैसला किया है. माने, अब 5वीं और 8वीं क्लास के फाइनल एग्जाम में फेल होने वाले छात्रों को पास नहीं किया जाएगा. फेल होने वाले छात्रों को पहले पास करके अगली क्लास के लिए प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. ऐसे छात्रों को दो महीने के अंदर दोबारा एग्जाम देने का मौका मिलेगा. पर अगर इस एग्जाम में भी छात्र फेल होता है तो उसे अगली क्लास के लिए प्रमोट नहीं किया जाएगा.

‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ पर सरकार ने ये फैसला 23 दिसंबर को लिया. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने मीडिया को बताया,

“फेल होने वाले छात्रों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा, लेकिन अगर वो दोबारा फेल होते हैं तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा. स्कूल 8वीं क्लास तक किसी भी छात्र को निष्कासित नहीं करेगा. केंद्र सरकार ने बच्चों के लर्निंग आउटकम्स को बेहतर बनाने के इरादे से ये फैसला लिया है.”

3000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगा

इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय का ये नया नियम केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित 3000 से अधिक केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों पर लागू होगा. सरकार का ये निर्णय 2019 के राइट टू एजुकेशन एक्ट में किए गए संशोधन को पलट देता है. नए नियम के तहत जो छात्र अपनी परीक्षा में फेल होंगे, उन्हें दो महीने के भीतर पास होने के लिए दूसरा मौका मिलेगा. अगर वो री-एग्जामिनेशन के बाद प्रमोट किए जाने की नियमों को पूरा नहीं कर पाते, तो उन्हें उसी क्लास में रोक दिया जाएगा. नोटिफिकेशन में कहा गया,

“री-एग्जामिनेशन में बैठने वाले छात्र अगर प्रमोट किए जाने की नियमों को पूरा नहीं कर पाते, तो उन्हें 5वीं या 8वीं क्लास में ही रोक दिया जाएगा.”

बता दें कि साल 2019 में राज्यसभा ने बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी थी. इसमें लर्निंग आउटकम्स को बेहतर बनाने के लिए 8वीं क्लास तक के लिए 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को हटाने की मांग की गई थी. इस विधेयक में राज्य सरकारों को इस पॉलिसी को जारी रखने या खत्म करने का अधिकार दिया गया था.

नो डिटेंशन पॉलिसी पर सरकार ने ये भी बताया कि टीचर्स ऐसे स्टूडेंट्स के लर्निंग आउटकम्स में सुधार लाने के लिए उन्हें अतिरिक्त मार्गदर्शन प्रदान करेंगे. नोटिफिकेशन में बताया गया,

“बच्चे को उसी क्लास में रोके जाने की स्थिति में क्लास टीचर बच्चे के साथ-साथ उसके पेरेंट्स का भी मार्गदर्शन करेेंगे. वो बच्चे के लर्निंग गैप्स की पहचान कर पेरेंट्स को उसकी जानकारी देंगे.”

जानकारी हो कि दिल्ली सहित 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही इन दो क्लास के लिए नो-डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है. हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि बाकी बचे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस पॉलिसी को जारी रखने का फैसला किया है. यहां ये भी जानना जरूरी है कि सरकार ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक राज्य इस मामले में अपना फैसला खुद ले सकता है.

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