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DU के एडमिशन प्रोसेस में गड़बड़ी? छात्रों का दावा, 'सीट मिलने के बाद छीन ली'

छात्रों का कहना है कि उन्होंने एडमिशन में हुई इस गड़बड़ी के बारे में यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी सूचित किया, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.

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छात्रों ने बताया कि CASA पोर्टल के मुताबिक अगर किसी भी स्टेज पर कोई छात्र अपना एडमिशन अस्वीकृत कर देता है तो वो आगे की प्रक्रिया से बाहर हो जाएगा. (फोटो- PTI)

दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम्स के एडमिशन की प्रक्रिया इस वक्त जारी है. पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम्स में एडमिशन के लिए अप्लाई करने वाले कुछ छात्रों ने 21 अगस्त को यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रदर्शन किया. छात्रों का आरोप है कि एडमिशन प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई. इस कारण कई छात्रों को एडमिशन नहीं मिल पाया है. पूरा मामला बताते हुए जानते हैं कि पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम्स में एडमिशन को लेकर छात्र प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं.

दरअसल, देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में पोस्ट ग्रेजुएट विषयों में एडमिशन के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET-PG) आयोजित कराया जाता है. टेस्ट का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA कराती है. इस साल ये एग्जाम जून के महीने में अलग-अलग शिफ्ट में कराया गया. 20 जुलाई को एग्जाम का रिजल्ट जारी किया गया. जिसके आधार पर अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में एडमिशन होता है.

सीट अलॉट हुई, फिर रद्द कर दी गई

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 17 अगस्त, 2023 को अपनी पहली कटऑफ लिस्ट जारी की. जिसके बाद छात्रों को CUET के स्कोर के आधार पर अलग-अलग विषयों में डिपार्टमेंट और कॉलेज अलॉट किए गए.

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एडमिशन के लिए CSAS - PG पोर्टल बनाया था. आसान भाषा में कहें तो कॉमन सीट एलोकेशन सिस्टम. इसी पोर्टल में छात्रों को अप्लाई करना होता है. जिसके बाद उन्हें सीट अलॉट की जाती है. पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए अप्लाई करने वाले छात्रों का कहना है कि उन्हें पोर्टल में सीट अलॉट की गई थी. लेकिन अलॉटमेंट स्वीकारने के बाद भी यूनिवर्सिटी ने उनकी सीटें रद्द कर दीं. यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस कोर्स में अप्लाई करने वाले सोहम अग्रवाल ने लल्लनटॉप से बात करते हुए बताया,

“हमने जिस कोर्स के लिए अपनी प्रिफरेंस भरी थी, उसमें से एक कोर्स में हमें सीट अलॉट की गई थी. सीट को हमने स्वीकार भी कर लिया था. जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने बिना कोई कारण बताए हमारी सीट का आवंटन रद्द कर दिया.”

छात्र को एडमिशन पोर्टल में सीट अलॉट की गई थी.  

यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए अप्लाई करने वाले कई और छात्रों ने बताया कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है. MA इतिहास में एडमिशन के लिए अप्लाई करने वाले जीवेश कुमार मौर्य ने लल्लनटॉप को बताया,

“यूनिवर्सिटी ने हमारे साथ अन्याय किया है. हमें सीट देने के बाद हमारी सीट हमसे छीन ली गई. इसके लिए कोई कारण भी नहीं दिया गया.”

DU प्रशासन को सूचित किया, कोई जवाब नहीं मिला

छात्रों का कहना है कि उन्होंने एडमिशन में हुई इस गड़बड़ी के बारे में यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी सूचित किया. छात्रों द्वारा कई मेल और कॉल किए गए. पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. जिसके बाद 21 अगस्त को छात्र यूनिवर्सिटी के सामने प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो गए. MA पॉलिटिकल साइंस में एडमिशन के लिए अप्लाई करने वाले हार्दिक नारायण शुक्ला ने बताया,

“हमने एडमिशन प्रक्रिया के बारे में जवाब मांगने के लिए यूनिवर्सिटी कैंपस का घेराव किया. जिसके बाद यूनिवर्सिटी के डीन हनीत गांधी ने ऑफिस का गेट बंद करवा दिया. कोई हमारी सुनने को तैयार नहीं है.”

यूनिवर्सिटी ने अगली लिस्ट में एडमिशन की बात कही

प्रदर्शन कर रहे छात्रों को यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से एक नोटिस दिया गया. जिसमें बताया गया कि उनको मेरिट के आधार पर अगली कट ऑफ लिस्ट जारी होने के बाद एडमिशन दिया जाएगा. लेकिन छात्रों का कहना है कि ये नोटिस अस्पष्ट है. छात्रों ने बताया कि CASA पोर्टल के मुताबिक अगर किसी भी स्टेज पर कोई छात्र अपना एडमिशन अस्वीकृत कर देता है तो वो आगे की प्रक्रिया से बाहर हो जाएगा. सोहम ने बताया कि यूनिवर्सिटी की तरफ से कहा गया है कि वो सीट ऑनर्स की डिग्री वालों को अलॉट कर दी गई हैं. बकौल सोहम पोस्ट ग्रेजुएट सीटों में कुछ सीटें अंडर ग्रेजुएशन में ऑनर्स करने वालों के छात्रों के लिए आरक्षित होती हैं.

छात्रों का दावा है कि यूनिवर्सिटी उनके साथ खिलवाड़ कर रही है. आरक्षित सीटों के बारे में तो यूनिवर्सिटी को भी पता होता है, फिर एडमिशन में इतनी ढिलाई क्यों की गई. इस मामले में यूनिवर्सिटी ने कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया है. छात्रों के मुताबिक यूनिवर्सिटी के अपारदर्शी और असंवेदनशील रुख से हजारों छात्रों का करियर दांव पर लगा है. छात्रों ने आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन पूरी तरह से मनमानी कर रहा है. उनकी मांग है कि एडमिशन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और उन्हें बताया जाए कि उनकी सीट उनसे क्यों छीनी गई.

इस पूरे मामले को लेकर हमने यूनिवर्सिटी प्रशासन से उनका रुख जानने के लिए उन्हें संपर्क किया, पर कोई जवाब नहीं मिला. जवाब आते ही हम इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा. 

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