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छत्तीसगढ़ में सैकड़ों सहायक शिक्षकों का दंडवत प्रदर्शन, क्या हुआ जो ऐसी नौबत आ गई?

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक भर्ती को लेकर क्यों है विवाद? राज्य लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने छत्तीसगढ़ व्यापम के माध्यम से 4 मई, 2023 को शिक्षक भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया था.

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12 जनवरी को अभ्यर्थियों ने माना से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा निकाली. (फोटो- दी लल्लनटॉप)

छत्तीसगढ़ में B.Ed सहायक शिक्षक भर्ती से बर्खास्त किए गए कैंडिडेट्स पिछले 26 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. 12 जनवरी को शिक्षकों ने आंदोलन में करीब 5 किलोमीटर दंडवत होकर यात्रा निकाली. रायपुर के माना चौक से शदाणी दरबार तक सड़क पर लेटते हुए ये विरोध प्रदर्शन किया गया. कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने शिक्षकों का एक वीडियो शेयर किया और राज्य में भर्ती प्रक्रिया को लेकर बीजेपी सरकार को घेरा.

B.Ed सहायक शिक्षक भर्ती से जुड़ा ये मामला क्या है? कब ये भर्ती हुई और इन शिक्षकों को क्यों बर्खास्त किया गया है? ये सब तो जानेंगे ही. साथ ही ये भी जानेंगे कि इस भर्ती से जुड़े कैंडिडेट्स NCTE (National Council for Teacher Education) के जिन नियमोें का हवाला दे रहे हैं, वो क्या कहते हैं.

2023 में आई थी भर्ती

छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने छत्तीसगढ़ व्यापम के माध्यम से 4 मई, 2023 को शिक्षक भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया था. कुल 6285 पदों पर भर्ती की जानी थी. ये सभी पद वर्ग-3 (क्लास 1 से 5) के तहत जारी किए गए थे. नोटिफिकेशन में बीएड डिग्री धारकों को एलिजिबल माना गया था. 10 जून, 2023 को भर्ती के लिए एग्जाम आयोजित हुआ. 2 जुलाई, 2023 को इसका रिजल्ट जारी कर दिया गया. इसके बाद मेरिट लिस्ट भी आ गई. परीक्षा में डीएड और बीएड दोनों कोर्स वाले अभ्यर्थियों को बैठने का अवसर दिया गया था.

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छत्तीसगढ़ सरकार का नोटिफिकेशन.

मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद अगस्त-सितंबर 2023 से शिक्षकों की जॉइनिंग भी शुरू हो गई. लेकिन इस बीच 11 अगस्त, 2023 को क्वालिटी ऑफ एजुकेशन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने NCTE का वो गैजेट रद्द कर दिया जिसमें B.Ed डिग्री धारकों को भर्ती के लिए एलिजिबल बताया गया था.

इस भर्ती प्रक्रिया से जुड़े विकास मिश्रा ने दी लल्लनटॉप से बात करते हुए बताया,

“सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के आधार पर डीएड अभ्यर्थियों ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. इसमें दर्जनों याचिकाकर्ताओं ने भर्ती परीक्षा दी ही नहीं थी. कई तो कट ऑफ रैंक तक भी नहीं पहुंचे थे.”

11 अगस्त, 2023 के जजमेंट के आधार पर बिलासपुर हाई कोर्ट ने 21 अगस्त, 2023 को B.Ed डिग्री वालों की काउंसलिंग पर रोक लगा दी. इसके बाद B.Ed डिग्री वाले अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट गए. वहां उन्होेंने इस पूरे मामले में अंतरिम राहत ली. इसके बाद 21 सितंबर को अभ्यर्थियों को बीएड+डीएड के आधार पर नियुक्ति दे दी गई. शिक्षकों को मिले नियुक्ति पत्रों में इस क्लॉज को भी रखा गया था जिसमें कहा गया था कि ये भर्ती हाई कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन है.

2 अप्रैल, 2024 को बिलासपुर हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर फिर से सुनवाई हुई. कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए सहायक शिक्षकों को लगभग 8 महीने की सर्विस के बाद पदमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया. इसके बाद सहायक शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में कई स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) लगाईं. 28 अगस्त, 2024 के दिन सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई.

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की SLP खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि NCTE ने 4 सितंबर, 2023 को राज्य सरकार के मुख्य सचिव को 2018 का गैजेट खारिज होने की सूचना दी थी. इसके बावजूद B.Ed डिग्री धारकों को नियुक्ति दे दी गई. कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार की चूक बता दी.

6 नवंबर, 2024 को बिलासपुर हाई कोर्ट में डीएड पक्ष की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी की नौकरी छीनना समस्या का समाधान नहीं है. बेंच ने बीएड डिग्री वाले शिक्षकों को वर्ग-2 (क्लास 6 से 8) के शिक्षक पदों पर समायोजित करने का सुझाव देते हुए कहा,

“ये सभी अभ्यर्थी चयनित हैं, मिडिल स्कूल में शिक्षण की योग्यता रखते हैं और इन्हें 1 साल का शिक्षण का अनुभव भी है.”

2,897 शिक्षकों की नौकरी खतरे में आ गई

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दिसंबर 2024 में सहायक शिक्षक पद के लिए केवल डीएड डिग्री होल्डर्स को ही उपयुक्त माना. कोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दे दिया. 10 दिसंबर, 2024 को 2 हफ्ते के अंदर ये प्रक्रिया पूरी करने को कहा. इसके साथ ही कोर्ट ने डीएड डिग्री होल्डर्स को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त करने को भी कहा.

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद बीएड डिग्री वाले 2897 शिक्षकों की नौकरी खतरे में आ गई. जिसके बाद से ये शिक्षक सरकार से समायोजन (एडजस्टमेंट) की मांग कर रहे हैं. यानी उन्हें शिक्षा विभाग में खाली पदों पर बहाल किया जाए. साथ ही उन्होंने आदेश पर रोक और न्यायपूर्ण अवसर देने की मांग की है.

भर्ती प्रक्रिया से जुड़े विकास बताते हैं,

“B.Ed डिग्री और D.Ed डिग्री वालों को समान समय मिला था, एग्जाम का सिलेबस भी एक जैसा था, और सब ने उतनी ही मेहनत कर एग्जाम पास किया. ऐसे में B.Ed डिग्री वालों को अयोग्य ठहराकर पीछे की रैंक वालों को नौकरी में अवसर दिया जाना बड़ा अन्याय है. NCTE ने गैजेट जारी किया, सुप्रीम कोर्ट ने उस गैजेट को खारिज कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार ने हमें नियुक्ति दी. इसमें अभ्यर्थियों की क्या गलती है. जिनसे चूक हुई, सजा उन्हें दी जानी चाहिए.”

शिक्षक भर्ती से जुड़े एक अन्य अभ्यर्थी ने अपनी पहचान छिपाए रखने की शर्त पर लल्लनटॉप को बताया,

“इस पूरी प्रक्रिया से उन अभ्यर्थियों को दिक्कत होगी जो अपनी दूसरी नौकरियां छोड़कर यहां आए थे. सैकड़ों अभ्यर्थी सरकारी तथा संविदा नौकरी से इस्तीफा देकर 2023 की शिक्षक भर्ती में बतौर सहायक शिक्षक भर्ती हुए थे. कई ऐसे अभ्यर्थी भी हैं जो वर्ग-2 के लिए योग्य थे, लेकिन उन्होंने दूर पोस्टिंग और पारिवारिक कारणों से वर्ग-3 में अप्लाई किया था.”

NCTE का गैजेट क्या कहता है?

NCTE यानी National Council for Teacher Education वो संस्था है जो शिक्षकों से जुड़ी भर्तियों के लिए उनकी एलिजिबिलिटी को निर्धारित करती है. NCTE ने साल 2010 में प्राथमिक स्कूल में शिक्षण के लिए केवल डीएड डिग्री धारकों को एलिजिबल माना था. चूंकि उस वक्त देश में पर्याप्त मात्रा में डीएड अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं थे, इसलिए केंद्रीय विद्यालयों ने इसका विरोध किया. इसके बाद भारत सरकार के विरोध पर NCTE ने जून 2018 में एक संशोधित गैजेट जारी किया. इसमें बीएड कोर्स को 'ब्रिज कोर्स' के साथ प्राथमिक शिक्षा के लिए एलिजिबल कर दिया गया.

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भारत सरकार के विरोध पर NCTE ने जून 2018 में एक संशोधित गैजेट जारी किया.

साल 2018-19 में राजस्थान में सहायक शिक्षक भर्ती कराई गई. तत्कालीन राज्य सरकार ने NCTE के 2018 के गैजेट का पालन ना करते हुए, केवल डीएड अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया. इसके बाद राजस्थान के बीएड याचिकाकर्ताओं ने देवेश शर्मा की लीडरशिप में इसे जोधपुर हाई कोर्ट में चैलेंज किया था. 25 नवंबर, 2021 को हाई कोर्ट ने इस गैजेट को रद्द कर दिया. इसके बाद बीएड अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. शीर्ष अदालत ने जोधपुर हाई कोर्ट के NCTE 2018 के गैजेट को रद्द करने के फैसले को सही ठहराया. लेकिन कोर्ट ने ये भी कहा कि ये गैजेट भर्ती परीक्षा के दौरान मान्य था, इसलिए परीक्षा में बीेएड अभ्यर्थियों को शामिल किया जाना चाहिए था.

शिक्षकों की मांग क्या है?

सहायक शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थी पिछले 26 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. शिक्षक जल सत्याग्रह, सामूहिक मुंडन से लेकर, हवन, इच्छामृत्यु की मांग और तेलीबांदा तालाब की सफाई करके ये सभी अपना विरोध जता चुके हैं. 12 जनवरी को अभ्यर्थियों ने माना से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा निकाली. इन अभ्यर्थियों की मांग है कि उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 2019 के मुताबिक सहायक शिक्षक के बराबर वेतन पर ही शिक्षक (क्लास 6 से 8) के 10 हजार 676 पदों में समायोजित किया जाए.

अभ्यर्थियों का कहना है कि इन्हें विभागीय डीएड ट्रेनिंग के माध्यम से वर्ग-2 में अटैच किया जा सकता है. अभ्यर्थियों का ये भी कहना है कि उन्हें शासकीय विद्यालयों में नए पदों को सृजन कर समायोजित किया जाना चाहिए.

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