उत्तराखंड के उत्तरकाशी से चार अक्टूबर को पर्वतारोहियों की एक टीम के लापता होने की खबर आई. ये टीम 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित द्रौपदी का डंडा-2 शिखर से लौट रही थी. अचानक हुए हिमस्खलन के कारण अधिकांश ट्रेनी पर्वतारोही फंस गए और 16 पर्वतारोहियों की मौत हो गई. पर्वतारोहियों की ये टीम उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM) की थी.
हिमस्खलन में फंस गए थे नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के ट्रेनी, यहां ये कोर्स होते हैं
ये इंस्टीट्यूट उनके लिए है, जो जीवन में एडवेंचर की चाह रखते हैं.

इस इंस्टीट्यूट में कौन-कौन से कोर्स होते हैं और यहां कैसे एडमिशन लिया जा सकता है? जानते हैं.
नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM)नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM) की वेबसाइट के मुताबिक, ये इंस्टीट्यूट भारत का सबसे अच्छा माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट है. एशिया के टॉप माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट्स में भी NIM का नाम शामिल है. इस इंस्टीट्यूट की स्थापना साल 1964 में की गई थी. ऐसा इंस्टीट्यूट बनाने की बात रक्षा मंत्रालय, केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने की थी. इंस्टीट्यूट की अगुवाई रक्षा मंत्रालय द्वारा चुने गए प्रिंसिपल द्वारा की जाती है.
NIM उन लोगों के लिए है, जो अपने जीवन में कुछ तूफानी करने की चाह रखते हैं. कैसा तूफानी? NIM से कोर्स करने वाले लोग माउंटेनियरिंग से जुड़े कोर्स करते हैं और असल जीवन में एडवेंचर करने की चाह रखते हैं.
NIM में दो तरह के कोर्स होते हैं- एडवेंचर कोर्स और माउंटेनियरिंग कोर्स. एडवेंचर कोर्स में एक कोर्स 14 से 18 वर्ष के वर्ग के लिए होता है और दूसरा कोर्स मिला-जुला होता है, जो 20 से 50 वर्ष के वर्ग के लिए होता है. ये कोर्स स्कूल स्टूडेंट्स, टीचर्स और ऐसे लोगों के लिए होता है, जो ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, कैंपिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटीज करना चाहते हैं. ये कोर्स 15 दिन का होता है और जून से दिसंबर के बीच आयोजित किया जाता है. इस कोर्स के लिए फीस 10 हजार रुपये के लगभग है.
माउंटेनियरिंग कोर्स में कई तरह के कोर्स होते हैं, इन कोर्स की लिस्ट है-
# बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स (BMC)- ये एक तरह का फाउंडेशन कोर्स है, जहां माउंटेनियरिंग के बेसिक्स सिखाए जाते हैं. ये कोर्स कुल 28 दिनों का होता है. पहले 8-9 दिन ट्रेनी कैंडिडेट्स को NIM के कैंपस और तेखला पहाड़ी पर फिजिकल ट्रेनिंग, रॉक क्लाइंबिंग, मैप रीडिंग जैसी एक्टिविटीज कराई जाती हैं. इसके बाद 13-14 दिन ट्रेनी कैंडिडेट्स पहाड़ों पर गुजारते हैं. इस दौरान पहाड़ों पर रहने के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं और ट्रेनी कैंडिडेट्स 14 से 16 हजार फीट की ऊंचाई पर रहते हैं. इस कोर्स के लिए फीस 22 हजार 550 रुपये है.
# एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स (AMC)- 28 दिन का ये कोर्स कैंडिडेट्स को हिमालय की चढ़ाई करने लायक बनाता है और उन्हें एक क्लाइंबर के तौर पर तैयार करता है. इस कोर्स के लिए वो कैंडिडेट्स ही एलिजिबल हैं, जिन्होंने बेसिक माउंटेन कोर्स (BMC) में ‘A’ ग्रेड हासिल किया हो. कोर्स में एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है जो गढ़वाल हिमालय में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर होती है. इस कोर्स के लिए फीस 20 से 22 हजार रुपये है.
# सर्च एंड रेस्क्यू (S&R)- NIM में ये कोर्स साल 1992 से हर साल एक बार आयोजित किया जाता है. इस कोर्स के लिए वो कैंडिडेट्स एलिजिबल हैं, जिन्होंने एडवांस कोर्स में ‘A’ ग्रेड हासिल किया हो. ये एडवांस कोर्स NIM, HMI दार्जिलिंग, JIM पहलगाम, ITBP ट्रेनिंग ऑली, MAS मनाली, SGMI गंगटोक, AMI सियाचिन, या HAWS गुलमर्ग से किया होना चाहिए. इस कोर्स में हिमालय में सर्च एंड रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी जाती है. इस कोर्स के लिए 21 से 45 वर्ष के लोग अप्लाई कर सकते हैं. ट्रेनिंग 21 दिन की होती है और 20 हजार 500 रुपए फीस लगती है.
# मेथड्स ऑफ इंस्ट्रक्शन (MOI)- इस कोर्स का मुख्य काम इंस्ट्रक्टर तैयार करना होता है. कोर्स उन कैंडिडेट्स के लिए है, जो माउंटेनियरिंग और इससे जुड़े स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाना चाहते हैं. कोर्स के लिए एलिजिबिलिटी सर्च एंड रेस्क्यू (S&R) कोर्स जैसी रही है. ये कोर्स 19 से 45 वर्ष के लोगों के लिए होता है और ट्रेनिंग कुल 21 दिनों की होती है. कोर्स की कुल फीस 20 हजार 500 रुपए है.
# स्कीइंग कोर्स- NIM हर साल जनवरी-फरवरी के महीने में 14 दिनों का स्कीइंग कोर्स आयोजित कराता है. ये ट्रेनिंग उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल स्की स्लोप में कराई जाती है. जनवरी में बर्फबारी के कारण इस कोर्स की तारीखों का ऐलान जनवरी के महीने में ही किया जाता है. कोर्स की फीस 20 हजार 500 रुपए है.
NIM में एडमिशन के लिए कैंडिडेट्स को ऑनलाइन अप्लाई करना होता है. इसके अलावा कैंडिडेट्स को मेडिकल फॉर्म और क्षतिपूर्ति बॉन्ड भी भरने होते हैं. सारे डाक्यूमेंट्स कैंडिडेट्स को रिपोर्टिंग के समय सबमिट करने होते हैं. NIM में सीट ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर दी जाती है. फीस में रहने-खाने, ट्रांसपोर्ट और ट्रेनिंग का खर्च जुड़ा होता है. तो आपको रहने-खाने की टेंशन नहीं लेनी है सिर्फ ट्रेनिंग पर फोकस करना है.
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