कोई बीमा क्यों लेता है? कुछ लोगों का जवाब होगा टैक्स बचाने के लिए. लेकिन आम आदमी के लिए और भी कई वजहें हैं. ज्यादातर लोग ये सोचकर बीमा खरीदते हैं कि कल को कोई अनहोनी हो, तो नुकसान की भरपाई के लिए पसीना ना बहाना पड़े. उसके जाने के बाद घर वालों को रोजी-रोटी के लिए किसी और का मुंह न देखना पड़े. इसलिए शौक से समझौता करके वो बीमा का प्रीमियम भरता है.
बीमा कंपनी आपका क्लेम रद्द कर दे तो उसे पाने के लिए क्या करना चाहिए?
अगर बीमाकर्ता को लगता है कि बीमा कंपनी बेवजह आपके दावे को खारिज कर रही है तो वो उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं जिसके कई रास्ते हैं.
ऐसे में कोई अनहोनी हो, और बीमा कंपनी क्लेम ही देने से इनकार कर दे तो आप सोच सकते हैं बीमा लेने वाले या उसके घर वालों पर क्या बीतती होगी? ऐसे ही दो मामलों में शिकायत निपटारा फोरम ने बीमा कंपनियों को फटकार लगाते हुए क्लेम वापस करने को कहा.
पहला मामला था पश्चिम बंगाल का. 2011 में बीमाकर्ता प्रसंता चटर्जी ने 4 लाख रुपये का बीमा लिया था. 2012 में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई. उनकी बीवी LIC से क्लेम लेने गई तो कंपनी ने ये कहकर इनकार कर दिया कि प्रसंता ने अपनी सेहत के बारे में सच्चाई छुपाई थी. राज्य शिकायत निपटारा फोरम ने भी LIC के हक में फैसला दिया. लेकिन नैशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमिशन (NCDRC) ने फैसला पलटते हुए याचिकाकर्ता को 9 फीसदी ब्याज के साथ बीमा की रकम लौटाने का आदेश दिया.
ऐसा ही एक और मामला आया गुड़गांव में. डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर ग्रीवांस रेड्रेसल फोरम ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि हल्के-फुल्के शराब के सेवन के नाम पर किसी बीमाकर्ता का मेडिक्लेम खारिज नहीं किया जा सकता. उसने न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी को बीमाकर्ता जिआनी राम सैनी को इलाज में खर्च हुए 1 लाख 28 हजार 677 रुपये 9 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने को कहा. साथ ही 50,000 का मुआवजा और 20,000 कानूनी खर्च के तौर पर देने को कहा.
दोनों ही मामलों में बीमाकर्ताओं ने अच्छा काम ये किया की उन्हें अपने क्लेम पर पूरा भरोसा था और उन्होंने बीमा कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. उनकी किस्मत अच्छी थी जो फैसला उनके हक में आया. उनकी जगह कल को आप भी हो सकते हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि बीमा कंपनी आपका क्लेम रद्द कर दे तो किसके पास शिकायत करनी चाहिए और उसकी प्रक्रिया क्या है?
अगर आपको लगता है कि बीमा कंपनी बेवजह आपके दावे को खारिज कर रही है तो आप उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं. पहला रास्ता है, सीधे बीमा कंपनी के पास शिकायत करना. दूसरा आप बीमा कंपनियों के नियामक इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के पास भी जा सकते हैं.
सभी बीमा कंपनियों के पास एक शिकायत निपटारा फोरम होता है. बीमा कंपनियां क्लेम खारिज करने की वजह बताती हैं. आप उस वजह को चुनौती दे सकते हैं. ध्यान रखें, आपकी शिकायत साफ सुथरी और स्पष्ट होनी चाहिए. आपके दावे का समर्थन करने वाले कागजात भी साथ में भेजें. नियम के मुताबिक फोरम को 15 दिनों के अंदर आपकी शिकायत पर जवाब देना ही होगा.
IRDAI भी हैबीमा कंपनियों के नियामक IRDAI के पास भी एक शिकायत निपटान केंद्र होता है, कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट ऑफ दी IRDAI. अगर आप कंपनी की शिकायत निपटारा फोरम से असंतुष्ट हैं तो IRDAI के सेल को भी चिट्ठी लिख सकते हैं. IRDAI के सेल के पास शिकायत करने के कई रास्ते हैंः
1) IRDAI के ऑनलाइन पोर्टल- बीमा भरोसा सिस्टम पर जाएं. वहां बाईं तरफ ऊपर रजिस्टर कंप्लेंट का विकल्प दिखेगा. उसे क्लिक करें और सभी जानकारी सही सही भर दें.
2) complaints@irdai.gov.in पर ईमेल के जरिए भी अपनी शिकायत दर्जा कर सकते हैं.
3) टोल फ्री नंबर 155255 (या) 1800 4254 732 पर फोन करके भी शिकायत रजिस्टर करा सकते हैं.
इनमें से किसी भी माध्यम से शिकायत दर्ज कराने के बाद IRDAI के पास लिखित में अपनी शिकायत भेजना जरूरी है. चिट्ठी इस पते पर भेज सकते हैंः
जनरल मैनेजर,
इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI)
कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट- ग्रीवांस रेड्रेसल सेल.
Sy.No.115/1, फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट, नानकरामगुड़ा,
गाचिबाउली, हैदराबाद – 500 032
पॉलिसी होल्डर्स इन शर्तों में संबंधित कानूनी अधिकारी ‘ओमबुड्समैन’ के पास शिकायत लेकर जा सकते हैंः
- शिकायतकर्ता बीमा कंपनी के पास मामले की शिकायत कर चुका है, जिसे खारिज कर दिया गया है.
- अगर शिकायतकर्ता को लगता हो कि उसकी समस्या का उचित समाधान नहीं निकला है या फिर 30 दिनों तक उनकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है.
- शिकायतकर्ता ने खुद अपने नाम पर जो भी पॉलिसी ली है, अगर उसे जुड़ी शिकायत करनी हो और दावे की रकम 20लाख रुपये से ज्यादा ना हो.
दावा खारिज होने की स्थिति में शिकायत करने के कई तरीके हैं. हालांकि, शिकायत में तथ्यों को कितनी सफाई और समझदारी के साथ पेश किया गया है उसके आधार पर ही तय होगा कि बीमाकर्ता को शिकायत के बाद भी दावे का पैसा मिलता है या नहीं. इसलिए शिकायत करते समय सभी तथ्यों, कागजात को साफ-साफ पढ़कर ही याचिका तैयार करें.
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