The Lallantop

सरकार ने TDS और TCS में छूट का एलान तो कर दिया, लेकिन टैक्स कटने का ये सिस्टम क्या है?

TDS TCS Announcements: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार TDS और TCS व्यवस्था में सुधार करने जा रही है.

post-main-image
बजट भाषण से पहले संसद परिसर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो: PTI)

वित्त वर्ष 2025-2026 का बजट पेश (Union Budget 2025) हो चुका है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट भाषण में कई एलान किए. टैक्स जमा करने की TDS और TCS व्यवस्था में सुधार के एलान किए गए. केंद्रीय वित्त मंत्री ने TDS और TCS के तहत रेंट पेमेंट, रेमिटेंस, उच्च शिक्षा और वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री को लेकर कई बातें कहीं.

TDS और TCS क्या हैं?

आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये TDS और TCS हैं क्या? इनके तहत टैक्स जमा क्यों किया जाता है?

दरअसल, सरकार दो तरह से टैक्स जमा करती है. डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स. सरकार को डायरेक्ट टैक्स वो लोग देते हैं, जिनको सैलरी इत्यादि से इनकम हो रही होती है. वहीं इनडायरेक्ट टैक्स उन लोगों के जमा करना होता है, जो वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री कर रहे होते हैं. TDS और TCS इसी इनडायरेक्ट टैक्स के हिस्से आते हैं. TDS और TCS में भी अंतर होता है.

TDS का मतलब है- Tax Deducted at Source

TCS का मतलब है- Tax Collected at Source

अब जरा आराम से समझ लेते हैं. अगर किसी व्यक्ति को कोई आय होती है, और उस आय से टैक्स काटकर बाकी पैसे व्यक्ति को लौटा दिए जाएं तो टैक्स के तौर पर काटे गए पैसों को TDS कहा जाता है. TDS आय के अलग-अलग सोर्सेज पर लगता है. जैसे किसी निवेश पर मिला ब्याज या किसी प्रॉपर्टी से मिल रहा रेंट. यह TDS तब कटता है, जब दो व्यक्तियों या संस्थाओं के बीच हुआ भुगतान एक तय सीमा को पार कर जाता है. इस TDS को सरकार के खाते में जमा करने की जिम्मेदारी पैसे का भुगतान करने वाले की होती है.

TCS का मतलब है सोर्स पर जमा किया गया टैक्स. TCS का भुगतान डीलर, वेंडर, सेलर या दुकानदार की तरफ से किया जाता है. हालांकि, दुकानदार यह टैक्स ग्राहक से ही वसूलता है. बस इस टैक्स को सरकार के पास जमा करने की जिम्मेदारी दुकानदार की होती है. TCS भी तब ही कटता है, जब भुगतान एक सीमा को पार कर जाता है. कुछ खास तरह की वस्तुओं और सेवाओं के लिए ही ये टैक्स जमा किया जाता है. मसलन, महंगी गाड़ियां, जंगलों से मिलने वाली कुछ विशेष प्रोडक्ट्स, खनिज पदार्थ, विदेश टूर के पैकेज इत्यादि.

ऐसा कहा जाता है कि TDS और TCS भारतीय कर व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं. इन दोनों व्यवस्थाओं से सरकार को टैक्स जमा करने में आसानी होती है. साथ ही साथ टैक्स चोरी पर भी लगाम लगती है.

TDS और TCS पर क्या एलान हुए?

अब आते हैं कि सरकार ने TDS और TCS को लेकर क्या एलान किए हैं.

वरिष्ठ नागरिक- वरिष्ठ नागरिकों को मिल रहे ब्याज पर लगने वाले TDS की सीमा में बढ़ोतरी की गई है. पहले 50 हजार रुपये के ब्याज पर TDS कटता था, अब इसकी सीमा बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी गई है.

रेंट पेमेंट- किराये पर लगने वाले TDS की सीमा सालाना 2.40 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये की गई है. यानी जो किरायेदार अभी तक 20 हजार रुपये प्रति महीना के रेंट पर TDS काट रहे थे, उनके लिए यह सीमा बढ़कर 50 हजार रुपये प्रति महीना हो गई है. इसका मतलब है कि छोटे-छोटे टैक्सपेयर्स और प्रॉपर्टी ओनर्स को अब पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे मिलेंगे.

रेमिटेंस- एक देश से दूसरे देश भेजे जाने वाले पैसे पर लगने वाले TCS की सीमा बढ़ाई दी गई है. पहले ये TCS 7 लाख रुपये पर लगता था, अब ये सीमा 10 लाख रुपये तक बढ़ाई गई है.

उच्च शिक्षा- अगर किसी शख्स ने बैंक से लोन लिया है और इस लोन का इस्तेमाल विदेश में उच्च शिक्षा पर खर्च के तौर पर हो रहा है, तो किसी भी तरह का TCS नहीं लगेगा.

वस्तुओं की बिक्री- फिलहाल वस्तुओं की बिक्री पर TDS और TCS दोनों लगते हैं, निर्मला सीतारमण ने TCS हटाने का प्रस्ताव रखा है.

वीडियो: बजट 2025: विधानसभा चुनाव के साल बिहार को क्या मिला?