कार खरीदने वाले लोगों को इस बात की हमेशा चिंता रहती है कि उनकी गाड़ी की सर्विस अच्छी और किफायती हो. कार मालिकों की इसी चाहत को ध्यान में रखते हुए देश में कारों की सर्विस उपलब्ध कराने वाले स्टार्टअप्स उभरे. जैसे पिटस्टॉप, गोबंपर, कारपैथी और महिंद्रा फर्स्ट चॉइस. इन्हीं में एक स्टार्टअप जिसने कार मालिकों के बीच काफी नाम कमाया, वह है गोमैकैनिक. यह कंपनी कारों की ऑफ्टर सेल सर्विस और रिपेयरिंग का काम करती है. कंपनी का दावा है कि देश में कार सर्विस से जुड़ा उनका नेटवर्क सबसे बड़ा है. इस कंपनी ने जिस तेजी से नाम कमाया अब उसी तेजी के साथ कंपनी जमीन पर आती दिख रही है. इस कंपनी पर एक बदनुमा दाग लगता दिख रहा है. कहा जा रहा है कि कंपनी के बहीखातों में काफी झोल है. गोमैकेनिक में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आने के बाद कंपनी के चलते रहने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. मामला बढ़ता दिखा तो गोमैकेनिक के को-फाउंडर अमित भसीन ने लिंक्डइन पोस्ट के जरिये गलती को स्वीकारा. उन्होंने लिखा, "किसी भी कीमत पर कंपनी की ग्रोथ को लेकर फैसलों में कई गंभीर गलतियां हुई हैं."
गोमैकैनिक में फर्जीवाड़े की पूरी कहानी सामने आई!
कहा जा रहा है कि कंपनी के बहीखातों में काफी झोल है. गोमैकेनिक में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आने के बाद कंपनी के चलते रहने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं

अब जानते हैं कि पूरा मामला क्या है. न्यूज बेवसाइट मनीकंट्रोल में छपी खबर बताती है कि गोमैकैनिक में अमेरिका की वेंचर कैपिटल फर्म सिकोया कैपिटल का सबसे ज्यादा निवेश है. लेकिन मामले के जानकार एक शख्स ने बताया कि गौमैकेनिक में वित्तीय अनियमितताएं तब उजागर हुईं जब जापान का सॉफ्टबैंक और मलेशिया के सॉवरेन वेल्थ फंड खजाना नेशनल बरहाद और नार्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स इस कंपनी में करीब 600 करोड़ रुपये निवेश करने की तैयारी में थे. निवेश से पहले सॉफ्टबैंक ने एक ऑडिटिंग फर्म अर्न्स्ट एंड यंग य़ानी EY को गोमैकैनिक के वित्तीय जांच का काम सौंपा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, ईवाई ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि गोमैकेनिक के 1000 से ज्यादा सर्विस सेंटर में कम से कम 60 ऐसे हैं जहां रेवेन्यू को बढ़ाचढ़ाकर दिखाया गया है और पैसों को उधर से उधर भेजने में गड़बड़ी पाई गई है. कुछ गैराज तो सिर्फ कागजों पर मिले.
गडबड़ियां मिलने के बाद साफ्टबैंक और अन्य निवेशकों ने गोमैकैनिक में निवेश से हाथ खींच लिया है. साथ ही गौमैकैनिक के मौजूदा निवेशकों को भी कंपनी के भीतर जारी गड़बड़ियों के बारे में सूचना साझा कर दी. इसके बाद मौजूदा निवेशकों ने ईवाई को अब अलग से गौमैकैनिक की फॉरेंसिक ऑडिट का काम सौंपा है. बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक खबर के मुताबिक गोमैकैनिक के निवेशकों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘यह जानकर हम बहुत व्यथित हैं कि गोमैकेनिक के संस्थापकों ने जानबूझकर हमें गलत जानकारी दी और कंपनी की आय बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई. निवेशकों ने इस मामले की विस्तृत जांच करने के लिए तीसरे पक्ष को नियुक्त किया है और आगे के कदमों पर विचार कर रहे हैं.’
वहीं, गोमैकैनिक के को फाउंडर अमित भसीन ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा, "कंपनी से गलती हुई है कि हमने बहीखाते को ताक पर रखकर हर कीमत पर वृद्धि हासिल करने का प्रयास किया. हमें इसका अफसोस है. उन्होंने कहा, ‘हम इस हालत की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं और पूंजी जुटाने के उपाय तलाशते हुए हमने सर्वसम्मति से कारोबार के पुनर्गठन का फैसला किया है।’ भसीन ने कहा, ‘दुर्भाग्य से हमें करीब 70 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ेगी.’सूत्रों के अनुसार कंपनी ने बाकी कर्मचारियों को तीन महीने तक बिना वेतन काम करने के लिए कहा है.
यह ऑडिट अभी जारी है और रिपोर्ट का इंतजार है. हालांकि सूत्रों के अनुसार खातों में गड़बड़ी की गंभीर चिंता को देखते हुए गोमैकैनिक के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल हो रहा है और कंपनी अपने 70 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है. कंपनी में सिकोया की 27 फीसदी हिस्सेदारी है और गोमैकैनिक का वजूद तभी बच सकता है, जब सिकोया उसमें नया निवेश करे. आगे क्या होगा अब ये भी जानते हैं. सूत्रों के मुताबिक गौमैकैनिक के मामले में फाउंडर्स को जल्द से जल्द छुट्टी पर जाने को कहा जा सकता है. हालांकि यह सब कुछ जांच रिपोर्ट आने के बाद ही फाइनल होगा कि कंपनी बंद होगी या सिर्फ कंपनी के फाउंडर्स को कंपनी छोड़ने के लिए कहा जा सकता है. चार दोस्तों – कुशल कर्वा, अमित भसीन, ऋषभ कर्वा और नितिन राणा ने 2016 में गुरुग्राम में गोमैकैनिक की शुरुआत की थी. कंपनी ने सिकोया, चिराटे वेंचर्स और ऑरियस वेंचर्स पार्टनर्स जैसे निवेशकों से काफी पैसा जुटाया है. कंपनी का दावा है कि इस समय देश के 60 शहरों में कंपनी के 1,500 वर्कशॉप हैं.
खर्चा पानी: ये है गोमैकैनिक में फर्जीवाड़े की पूरी कहानी