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ITR भरने के फायदे जान कम सैलरी वाले सबसे पहले फाइल करेंगे

5 लाख रुपये से कम सैलरी वाले कई लोग सोचते हैं कि उन्हें ITR भरने की जरूरत नहीं, क्योंकि वे इसके दायरे ही नहीं आते. ये गलती भूल से भी नहीं करनी है.

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वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ITR भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है. (Imag Credit- Businesstoday & Freepik)

सरकार सैलरीशुदा लोगों से टैक्स वसूलती है. सैलरी की रकम के हिसाब से टैक्स की दर तय की गई है. हालांकि, पुराने टैक्स स्ट्रक्चर चुनने वालों को 5 लाख रुपये तक की सैलरी पर टैक्स नहीं देना होता. नई टैक्स व्यवस्था चुनने वालों के लिए 7 लाख रुपये की सैलरी टैक्स फ्री होती है. इस सीमा से ज्यादा सैलरी पाने वालों को इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी होता है. इसकी आखिरी तारीख 31 जुलाई है. 

लेेकिन हम आज उनकी बात करने वाले हैं जो टैक्स के दायरे में नहीं आते. पुरानी व्यवस्था के हिसाब से 5 लाख रुपये से कम और नई व्यवस्था के हिसाब से 7 लाख रुपये से कम सैलरी वाले इसमें आते हैं. दिक्कत ये है कि ये लोग समझते हैं इनकी सैलरी टैक्स फ्री है इसलिए इन्हें ITR भरने की जरूरत नहीं है. जबकि ये सबसे बड़ा मिथ है. टैक्स के दायरे में आएं या ना आएं ITR सभी को भरना चाहिए. क्योंकि ITR इनकम प्रूफ होने के अलावा कई और फायदे देता है.

दरअसल, नौकरीशुदा लोगों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न एक जरूरी दस्तावेज माना जाता है. ITR भरने से टैक्स से जुड़े कई छूट के साथ अन्य कई चीजों में भी सहूलियत मिलती है. आइए जानते हैं कम सैलरी होने पर भी ITR भरने के क्या फायदे होते हैं.

वापस आ जाएगा टैक्स का पैसा

कई बार ऐसा होता है कि किसी की सैलरी ढाई लाख रुपये से कम है. मगर उससे किसी और चीज में टैक्स लिया गया हो. ऐसे लोग ITR भरकर ये पूरा पैसा वापस ले सकते हैं. अगर ये शख्स ITR नहीं भरता है तो टैक्स में कटे पैसे व्यर्थ हो जाएंगे.

आसानी से मिल जाता है लोन

आपको कितनी रकम का लोन मिलेगा इसका सीधा लेनदेन सैलरी से होता है. लोन देते समय बैंक दो सालों का ITR मांगते हैं. कम सैलरी होने पर भी ITR भरने से लोन मिलना आसान हो जाता है. वरना, कम सैलरी वालों को लोन देने में बैंक अक्सर आनाकानी करते हैं. मान लेते हैं एक शख्स की सैलरी 3 लाख रुपये है. उसे एक लाख रुपये का लोन चाहिए. उसने बैंक के पास लोन का आवेदन दिया. अब बैंक उससे ITR और सिबिल स्कोर पूछता है. अगर लोन मांगने वाला ITR दिखा देता है तो उसे लोन मिलना आसान हो जाता है. बैंक मानता है कि इस शख्स के ऊपर टैक्स की कोई देनदारी नहीं थी, फिर भी इसने ITR भरा. इसे जिम्मेदार बर्ताव माना जाता है.

लॉस दिखाकर बचा सकते हैं टैक्स

मान लेते हैं एक शख्स 3 लाख रुपये कमा रहा हैं. वो शेयरों की खरीद बिक्री भी करता है, म्यूचुअल फंड में भी निवेश करता है. ऐसे लोगों को तो ITR भरना बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए. ऐसा क्यों कह रहे हैं आपको उदाहरण से समझाते हैं. मान लेते हैं उसे शेयर बाजार में निवेश से 1 लाख रुपये का फायदा हुआ और उसकी कुल कमाई बढ़कर 4 लाख रुपये हो गई. हालांकि, अब भी वो टैक्स के दायरे से बाहर है. 

लेकिन दूसरी स्थिति बनती है कि उसे 1 लाख का फायदा होने की जगह घाटा हो जाए. इस स्थिति में उसकी कमाई 2 लाख रुपये ही मानी जाएगी(सैलरी-घाटा). ये आदमी ITR भरकर बता सकता है कि उसे इस साल 1 लाख रुपये का घाटा हुआ है. शेयर बाजार में एक टर्म है, कैरी फॉरवर्ड. जिसके मुताबिक सैलरी में से घाटे को कम करने के बाद जो रकम आती है उसे ही असल कमाई माना जाएगा. एक निवेशक 8 साल तक अपना घाटा अगले साल के लिए फॉरवर्ड कर सकता है.

अब मान लेते हैं कि इस आदमी ने नौकरी बदली और उसकी सैलरी अब 6 लाख रुपये हो गई. अगर ये शख्स ITR भरता आ रहा होगा तो उसकी कुल कमाई सैलरी- पिछले साल का घाटा होगी. यानी 6 लाख- 1 लाख रुपये= 5 लाख रुपये. ये 1 लाख रुपये उसका पिछले साल वाला घाटा है. इस तरह उसकी कुल कमाई 6 लाख रुपये से 5 लाख रुपये हो गई. उसे अब कोई टैक्स देना नहीं पड़ेगा.

अन्य जरियों से हुई कमाई हो जाएगी टैक्स फ्री

कई ऐसे बॉन्ड या निवेश के साधन होते हैं जिनसे मिलने वाला टैक्स फ्री होता है. अगर ITR नहीं भरा तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस फायदे को कमाई मानकर उनसे पेनल्टी भी मांग सकता है. लेकिन अगर आपने 5 लाख रुपये से कम सैलरी होते हुए भी ITR भरा है तो सरकार के पास ये सबूत रहता है कि आपकी टैक्स देनदारी 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है. आपको बॉन्ड से अतिरिक्त कमाई हुई है वो भी टैक्स फ्री है. इस तरह आप संभावित जुर्माने से बच जाते हैं.

झट से मिलता है वीजा

कई देश वीजा देने के लिए ITR मांगते हैं. इमीग्रेशन यानी दूसरे किसी देश में शिफ्ट होने के लिए ITR जरूरी कागजातों में से एक है. अगर कोई पढ़ाई या ट्रैवल या किसी अन्य मकसद से विदेश जा रहा है तो उनसे ITR मांगा जाएगा. ऐसा नहीं है कि इसके बिना वीजा नहीं मिलेगा, लेकिन ITR भरने से वीजा की प्रक्रिया आसान हो जाती है. कुछ देश सिर्फ एक साल का ITR मांगते हैं. कुछ देश या उनकी एंबेसी दो साल का ITR भी मांगती हैं.