देश में खाने-पीने की चीज़ें एक बार फिर महंगी हो गई हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने महंगाई से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं. इसके अनुसार, अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह RBI की तय सीमा को पार कर चुकी है.
खुदरा महंगाई ने 14 महीनों का रिकॉर्ड तोड़ दिया, RBI का तय दायरा भी टूटा, क्या-क्या हुआ महंगा?
Retail Inflation: अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह RBI की तय सीमा को पार कर चुकी है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई दर का दायरा 6 फीसदी तय किया है. सरकार का प्रयास रहता है कि महंगाई दर 6 प्रतिशत से नीचे रहे. लेकिन NSO के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर में स्थिति संतोषजनक नहीं है. सितंबर में महंगाई दर 5.49% थी. अगस्त 2023 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि यह आंकड़ा 6 प्रतिशत की सीमा को पार कर गया हो.
अक्टूबर का महीना त्योहारों का रहा है. दशहरा और दीवाली दोनों इसी महीने पड़े हैं. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में खाने-पीने की चीज़ों में बढोत्तरी की एक वजह त्योहारों के मौसम में हाई फूड प्राइस भी है.
NSO के आंकड़े और खुदरा महंगाई बढ़ने को लेकर इंडियन एक्सप्रेस में अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का बयान छपा है. उन्होंने बताया,
“देश के कुछ हिस्सों में बेमौसम बरसात और कई अन्य हिस्सों में देर तक मानसून रहने के कारण सब्जियों, खासकर टमाटर और प्याज की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है. खाने-पीने की चीज़ों की महंगाई को रोकना काफी जरूरी है क्योंकि यह सीधे घरेलू महंगाई की कीमतों को प्रभावित करता है.”
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विशेष तौर पर खाने-पीने की चीजों पर महंगाई का असर कुछ ज्यादा ही पड़ा है. अक्टूबर में खाद्य से जुड़ी महंगाई 9.24% से बढ़कर 10.87% हो गई है. ग्रामीण इलाकों में महंगाई सितंबर में 5.87% की तुलना में बढ़कर 6.68% जबकि शहरी महंगाई 5.05% से बढ़कर 5.62% हो गई है.
अर्थशास्त्री कुनाल कूंडू के अनुसार, भारत की मुद्रास्फीति उम्मीद से कहीं अधिक बढ़ गई है. इसके पीछे प्याज की आसमान छूती कीमत भी एक कारण है. उन्होंने कहा कि महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर होने से, दिसंबर में होने वाली बैठक में केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती किए जाने की उम्मीदों को झटका लगा है.
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