The Lallantop

नौकरियां ही नौकरियां निकालने के लिए सरकार PLI स्कीम लाई थी, पता है इस योजना से क्या असर हुआ?

Job Creation: साल 2020 में अलग-अलग सेक्टर्स के लिए PLI स्कीम्स लॉन्च की गई थीं. इनका उदेद्श्य कुल 16.2 लाख नौकरियां पैदा करने का है. अब तक 5.84 लाख रोजगार पैदा हो पाए हैं.

post-main-image
सरकार ने 14 सेक्टर्स के लिए PLI स्कीम्स को लॉन्च किया था. (फोटो: PTI)

मोदी सरकार एक योजना लेकर आई थी. देश में रोजगार बढ़ाने के लिए. प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव स्कीम (PLI) के नाम से लॉन्च की गई थी. अब जानकारी आई है कि अपने लक्ष्य को हासिल करने में ये योजना 'ओके-ओके' रही है. इस योजना के तहत जहां मोबाइल फोन, फूड प्रोसेसिंग और फार्मा जैसे सेक्टर्स ने कमाल का प्रदर्शन किया है, वहीं टेक्सटाइल, एडवांस केमिकल, ऑटो, आईटी हार्डवेयर और स्टील जैसे सेक्टर कुछ खास हासिल नहीं कर पाए हैं. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े सौम्यरेंद्र बरीक ने एक RTI के जरिए ये जानकारी हासिल की है.

जानकारी के मुताबिक, PLI स्कीम्स से जून 2024 तक कुल 5.84 लाख रोजगार पैदा हुए हैं. उद्देश्य है कि अगले पांच सालों में इन स्कीमों के तहत 14 सेक्टरों में 16.2 लाख रोजगार पैदा किए जाने हैं. इन 5.84 लाख रोजगारों में फूड प्रोसेसिंग, फार्मा और मोबाइल सेक्टर्स का हिस्सा लगभग 75 प्रतिशत है. इन सेक्टर्स ने 4.47 लाख रोजगार पैदा किए हैं. सरकार का कहना है कि फूड प्रोसेसिंग सेक्टर साल 2027 तक कुल 2.5 लाख रोजगार पैदा करेगा, PLI स्कीम के तहत ये सेक्टर जून 2024 तक 2.45 लाख नौकरियां पैदा कर चुका है.

PLI स्कीम का उद्देश्य प्राइवेट इनवेस्टमेंट को बढ़ाकर मैन्युफैक्चरिंग को तेज करना है. इसके तहत सरकार बिक्री बढ़ने पर कंपनियों को इनसेंटिव्स देती है. PLI को अप्रैल, 2020 में लॉन्च किया गया था. ये 14 सेक्टरों टेक्सटाइल, एडवांस केमिकल सेल (ACC), सोलर मॉड्यूल्स, ऑटो एंड ऑटो कंपोनेंट्स, आईटी हार्डवेयर, स्पेशियलटी स्टील, मोबाइल फोन्स, टेलीकॉम, मेडिकल डिवासेज, वॉइट गुड्स, फार्मास्यूक्टिकल्स, फूड प्रोसेसिंग, ड्रोन्स और ड्रग्स इंटरमीडिएट्स जैसे सेक्टर शामिल हैं. मार्च 2024 तक PLI के तहत इन सेक्टर्स में 1.23 लाख करोड़ का निजी निवेश हुआ.

जहां फूड प्रोसेसिंग और मोबाइल फोन्स ने इस स्कीम के तहत अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं टेक्सटाइल और एसीसी सेक्टर्स कुछ खास नहीं कर पाए. टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए PLI स्कीम सितंबर 2021 में लॉन्च की गई थी. इसका शुरुआती उद्देश्य 7.5 लाख नौकरियां पैदा करना था. हालांकि, कैबिनेट से केवल 2.5 लाख नौकरियों की मंजूरी मिली. जून 2024 तक यह सेक्टर केवल 12,607 नौकरियां पैदा कर पाया. वहीं ACC सेक्टर्स केवल 802 नौकरियां पैदा कर पाया.

इसी तरह से सोलर मॉड्यूल्स में 1.95 लाख नौकरियां पैदा करने का उद्देश्य रखा गया था. जून 2024 तक ये स्कीम 9,521 नौकरियां ही पैदा कर पाई. अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस सेक्टर को अगले पांच साल तक हर साल 46,000 नौकरियां पैदा करनी होंगी. वहीं मेडिकल डिवाइसेज सेक्टर ने जून 2024 तक 5,596 नौकरियां पैदा की हैं. इस सेक्टर के तहत कुल 33,750 नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस सेक्टर को हर साल 9 हजार नौकरियां पैदा करनी हैं.

ऑटोमोबाइल सेक्टर ने जून 2024 तक 32,081 नौकरियां पैदा की हैं. अगले पांच साल में इस सेक्टर को 1.45 लाख नौकरियों के लक्ष्य तक पहुंचना है. वहीं आईटी हार्डवेयर सेक्टर ने 4,423 नौकरियां पैदा की हैं, लक्ष्य 75 हजार नौकरियां पैदा करने का है.

रिपोर्ट बताती है कि PLI स्कीम के तहत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है. इसने पिछले तीन साल में 1,22,613 नौकरियां पैदा की हैं. इस स्कीम के जरिए एप्पल ने भारत में अपना उत्पादन बढ़ाया है. अगले दो साल में लक्ष्य है कि इस स्कीम के तहत दो लाख नौकरियां पैदा की जाएं. इसी तरह टेलीकॉम सेक्टर सही गति से आगे बढ़ रहा है. जून 2024 तक इस सेक्टर ने 23,857 नौकरियां पैदा की हैं. लक्ष्य अगले पांच साल में 40 हजार और नौकरियां पैदा करने का है.

ये भी पढ़ें- देश में 12 औद्योगिक स्मार्ट शहर बनेंगे, 10 लाख लोगों को रोजगार, सरकार ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी

वीडियो: खर्चा पानी: टेक इंडस्ट्री में बढ़ती बेरोजगारी के बीच IT कंपनियां करेंगी डेढ़ लाख भर्तियां