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पेट्रोल-डीजल के दाम घटने वाले हैं? माहौल तो कुछ ऐसा ही बन रहा है!

कच्चे तेल की कीमतों की बात करें तो ये तीन सालों में सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है. लेकिन, इसके मुकाबले अपने देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटे हैं.

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कच्चे तेल की कीमतें गिरीं. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

पिछले 10 साल में कच्चे तेल की कीमतें 25 परसेंट घट चुकी हैं. लेकिन देश में पेट्रोल का दाम 30 परसेंट बढ़ चुका है. तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने 16 सितंबर को अपने सोशल मीडिया पर ये सवाल उठाया. इसके बाद फिर से ये चर्चा शुरू हो गई कि क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतें घट सकती हैं?

डेरेक ओ ब्रायन ने एक्स पर लिखा, 

"अगस्त 2014 में कच्चे तेल की कीमत 102 डॉलर प्रति बैरल थी और पेट्रोल की कीमत 73 रुपये थी, जबकि अगस्त 2024 में कच्चे तेल की कीमत 78 डॉलर प्रति बैरल है और फिर भी पेट्रोल 95 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. तेल कंपनियों के अप्रत्याशित मुनाफे का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं दिया जा रहा."

ये तो हो गई टीएमसी सांसद की तरफ से उठाए गए सवाल. लेकिन क्या वाकई क्रूड के दाम गिरे हैं? क्या पेट्रोल डीजल सस्ता होने की संभावना है या अभी और इंतजार करना होगा? 

कच्चे तेल की कीमतें गिरीं

कच्चे तेल की कीमतों की बात करें तो ये तीन सालों में सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि ब्रेंट क्रूड दिसंबर 2021 के बाद पिछले सप्ताह पहली बार 70 डालर प्रति बैरल के नीचे लुढ़क चुका है. 16 सितंबर 2024 को इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 71.50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था. जबकि WTI क्रूड 69 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा था. वहीं अगर रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कुछ समय बाद से तुलना की जाए तो फिलहाल क्रूड के दाम करीब करीब आधे हैं. उस समय मार्च 2022 में कच्चे तेल का भाव 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था.

इससे पता चलता है कि कच्चे तेल की कीमतों में ऊपरी स्तरों से भारी गिरावट आ चुकी है. लेकिन, इसके मुकाबले अपने देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटे हैं. कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से ज़्यादा है और डीज़ल की कीमत 90 रुपये प्रति लीटर से ज़्यादा है. अब आगे बढ़ने से पहले देश के बड़े शहरों में पेट्रोल के दाम जान लेते हैं.

सोमवार, 16 सितंबर को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का दाम 94.72 रुपये प्रति लीटर है. मुंबई में एक लीटर पेट्रोल के लिए 103 रुपये 44 पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. कोलकाता में पेट्रोल की कीमत 104 रुपये 95 पैसे और चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये 98 पैसे प्रति लीटर है. डीजल की बात करें तो दिल्ली में सोमवार को डीजल की कीमत 87 रुपये 62 पैसे जबकि मुंबई में डीजल 89 रुपये 97 पैसे प्रति लीटर बिक रहा था.

तेल कंपनियों का कारोबार

वित्त वर्ष 2023-24 में सभी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का कुल मुनाफा करीब 86,000 करोड़ रुपये रहा है. ये इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 25 गुना ज्यादा है. कच्‍चा तेल तो सस्‍ते में मिल रहा है, जबकि बाजार कीमतों पर डीजल-पेट्रोल बेचने पर उन्‍हें ज्‍यादा प्रॉफिट हो रहा है. यानी कि तेल कंपनियों के मार्जिन में सुधार हो रहा है. 

मार्केट रिसर्च फर्म एमके का कहना है कि तेल की कीमतों में गिरावट के चलते इन कंपनियों को सितंबर में 13-14 रुपये रुपये प्रति लीटर तक का प्रॉफिट हुआ है. इतना ही नहीं, सरकारी तेल कंपनियों ने भी वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में खूब मुनाफा कमाया है. क्रूड के दाम घटने से इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तीनों ऑयल मार्केटिंग कंपनियों मसलन इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का साझा नेट प्रॉफिट 7,371 करोड़ रुपए रहा है.

पेट्रोल-डीजल के दाम घट सकते हैं?

तेल कंपनियों के मुनाफे में होने और कच्‍चे तेल के दाम में गिरावट के बाद अब लोगों के बीच ये सवाल उठ रहा है कि सरकार आम आदमी को महंगे पेट्रोल-डीजल से कब राहत देगी या अभी इंतजार करना होगा? सीधा जवाब देना मुश्किल है. लेकिन जानकारों और मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि देश में पेट्रोल-डीजल के दाम जल्द घट सकते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. पहला कारण माना जा रहा है कि हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले सरकार आम लोगों को राहत दे सकती है. 

हाल ही में सरकार ने ईंधन के दाम घटाने के संकेत भी दिए थे. सरकार स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रही है. सरकार का कहना है कि अगर वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक कम रहीं तो भारत में उपभोक्ताओं को जल्द ही पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से कुछ राहत मिल सकती है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन ने कहा कि यदि कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तर के आसपास बनी रहीं तो तेल कंपनियां ईंधन की कीमतें कम करने पर विचार कर सकती हैं. 

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पंकज जैन ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय कच्चे तेल पर अप्रत्याशित टैक्स के संबंध में वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा भी कर रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि अगर कच्चे तेल और रिफाइंड उत्पादों की कीमत के बीच का अंतर कम रहता है, तो रिफाइंड ईंधन पर अप्रत्याशित कर लगाने की ज़रूरत नहीं होगी. इससे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को स्थिर करने में और मदद मिलेगी.

इसके अलावा, भारतीय तेल कंपनियां पहले के मुकाबले रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा रही हैं, क्योंकि दूसरे देशों के मुकाबले रूस से हमें सस्ता तेल मिल रहा है. वहीं, एक खुशखबरी OPEC की तरफ से भी आई है. सरकार तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) के साथ भी बातचीत कर रही है. 

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों के संगठन ओपेक और सहयोगी देशों ने इसको लेकर सहमति भी जताई है. इससे भारत को फायदा होगा. भारत आयातित तेल पर बहुत ज़्यादा निर्भर है. भारत अपनी जरूरत का 87% से ज़्यादा तेल विदेशों से मंगाता है. भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है और उपभोक्ता है. 

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बता दें कि सरकार ने इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले आम जनता को बड़ी राहत दी थी. 15 मार्च को देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2 रुपये की कटौती की गई थी. अब पिछली कटौती को 6 महीने बीत चुके हैं और सरकार ने रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले 21 मई 2022 को पेट्रोल और डीजल के रेट में बदलाव हुआ था. उस समय पेट्रोल पर 8 रुपए और डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क घटाया गया था.

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