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घर बेचने वालों के साथ मोदी सरकार ने खेल कर दिया? LTCG में हुए बदलाव का गेम समझिए

आमतौर पर जब भी हम कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, जैसे जमीन या मकान, उसे तुरंत नहीं बेचते. अगर बेचना भी होता है तो कुछ साल के बाद ही बेचते हैं. और इसी प्रॉपर्टी को बेचते वक्त चुकाना पड़ता है LTCG टैक्स. जिसमें सरकार ने अब बदलाव कर दिए हैं.

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इस बजट में LTCG टैक्सेशन में बदलाव कर इंडेक्सेशन की प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया है. (बिज़नेस टुडे)

बजट आने के दो दिन बाद जब इनकम टैक्स की का गुणा-भाग समझ आ गया तो चर्चा प्रॉपर्टी पर लगने वाले टैक्स पर शुरू हुई. कहा जा रहा है कि सरकार ने प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स रेट तो कम कर दिया है, बावजूद इसके कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में प्रॉपर्टी पर लगने वाले कौन से टैक्स में क्या बदलाव किए हैं, इनका कितना असर पड़ेगा, और इसे कैसे कैलकुलेट किया जाएगा, इन सब सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करेंगे.

LTCG क्या होता है?

LTCG यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन. यह किसी भी इन्वेस्टमेंट की बिक्री से मिलने वाला लाभ है, निवेशक जिसका लंबे समय तक मालिक रहा हो. यानी प्रॉपर्टी की बिक्री के समय के दाम और खरीद के समय के दाम में जो अंतर होता है उसे ही LTCG कहते हैं. इस बार बजट में सरकार ने सिर्फ दो होल्डिंग पीरियड का प्रावधान कर दिया है. 12 महीने का पीरियड लिस्टेड असेट्स के लिए होता है. लिस्टेड यानी बॉन्ड्स, स्टॉक्स, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट जो भारत के मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो. वहीं अनलिस्टेड असेट्स के लिए ये अवधि 24 महीने होगी. अनलिस्टेड जैसे आपने कोई घर खरीदा, सोना खरीदकर अपने पास रखा, गोल्ड म्यूचुअल फंड खरीदा या फिर विदेश की किसी कंपनी की स्टॉक खरीदा. इन सभी पर 24 महीने का होल्डिंग पीरियड लागू होगा.

आमतौर पर जब भी हम कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, जैसे जमीन या मकान, उसे तुरंत नहीं बेचते. अगर बेचना भी होता है तो कुछ साल के बाद ही बेचते हैं. और इसी प्रॉपर्टी को बेचते वक्त चुकाना पड़ता है LTCG टैक्स. जिसमें सरकार ने अब बदलाव कर दिए हैं. यहां 

LTCG में क्या बदलाव हुए?

बजट 2024-25 से पहले तक प्रॉपर्टी बेचने पर हमें 20 प्रतिशत LTCG टैक्स चुकाना पड़ता था. लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने इस टैक्स को कम कर दिया है. अब प्रॉपर्टी बेचने पर हमें 12.5 प्रतिशत टैक्स चुकाना होगा. फिर भी कहा ये जा रहा है कि टैक्स रेट कम होने के बावजूद अब पहले से ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. क्योंकि सरकार ने इंडेक्सेशन खत्म कर दिया है. जिसने सारा खेल ही बदल दिया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने बजट पढ़ते हुए बताया

“नई दर को 12.5% ​​तक तर्कसंगत बनाने के साथ, धारा 48 के दूसरे प्रावधान के तहत प्रदान किया गया इंडेक्सेशन अब LTCG कैलकुलेट करते समय लागू नहीं होगा. यह परिवर्तन संपत्ति, सोना और अन्य अनलिस्टेड संपत्तियों को प्रभावित करेगा. इसका लक्ष्य करदाताओं और कर प्रशासकों दोनों के लिए कैपिटल गेन की गणना को सरल बनाना है.”

इंडेक्सेशन क्या होता है?

इंडेक्सेशन का सीधा संबंध महंगाई से है. फर्ज़ कीजिए कि आपने 10 साल पहले कोई प्रॉपर्टी 10 लाख रुपये की खरीदी थी. और आज आप उसी प्रॉपर्टी को 25 लाख रुपये में बेच रहे हैं. तो पहले इंडेक्सेशन कराया जाता है. यानी आज की तारीख में उस प्रॉपर्टी की वैल्यू कितनी है, यह सर्टिफाइड वैल्यूअर द्वारा किया जाता है. मान लीजिए वैल्यूअर उस प्रॉपर्टी की आज की वैल्यू 18 लाख बताता है. तो आपको 25 लाख (बिक्री) में से 18 लाख (मौजूदा वैल्यू) घटा कर 7 लाख रुपये के मुनाफे पर 20 प्रतिशत LTCG टैक्स देना होता था. लेकिन अब इस इंडेक्सेशन को ही खत्म कर दिया गया है. यानी अब आप उसी प्रॉपर्टी को अगर बेचेंगे तो 25 लाख (बिक्री) में 10 लाख (खरीद) घटाकर पूरे 15 लाख रुपये पर 12.5 प्रतिशत LTCG टैक्स देना होगा. यह नियम जिस दिन बजट में आया यानी 23 जुलाई, 2024 से ही लागू हो गया है.

यह मात्र एक उदाहरण है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि प्रॉपर्टी के दाम किस रफ्तार से बढ़ रहे हैं. अगर प्रॉपर्टी के दाम धीमी रफ्तार से बढ़ रहे हैं तो इंडेक्सेशन से फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन अगर प्रॉपर्टी के दाम तेज़ी बढ़ रहे हैं तो बिना इंडेक्सेशन नुकसान होने की ज्यादा संभावना हैं.

2001 से पहले की प्रॉपर्टी पर वही नियम 

वित्त मंत्री ने बजट भाषण में इंडेक्सेशन खत्म करने की घोषणा की, लेकिन 2001 के बाद खरीदी हुई प्रॉपर्टीज़ पर. यानी अगर आपने कोई प्रॉपर्टी 2001 से पहले खरीदी है तो उसका इंडेक्सेशन किया जाएगा. बेस इयर 2001 ही होगा. 2001 के हिसाब से जो प्रॉपर्टी की वैल्यू आएगी, बिक्री मूल्य से उसे घटाया जाएगा, और उस मुनाफे पर LTCG टैक्स लगाया जाएगा.

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एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

इस मसले पर हमने बात की फाइनेंस मामलों के एक्सपर्ट शरद कोहली से. उन्होंने कहा

"इस बदलाव से प्रॉपर्टी बेचने वालों को बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. करीब 70-80 प्रतिशत विक्रेता होंगे जिन्हें इंडेक्सेशन खत्म होने से कोई नुकसान नहीं होगा. ज्यादा से ज्यादा 20-30 प्रतिशत लोगों को नुकसान हो सकता है. क्योंकि प्रॉपर्टी के दाम उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रहे हैं जितना दावा किया जा रहा है."

वहीं लाइव मिंट से बात करते हुए हिरेन एस टक्कर एंड असोसिएट्स के प्रोप्राइटर हिरेन टक्कर कहते हैं, 

“ये घर बेचने वालों के लिए अच्छी खबर नहीं है. इस व्यवस्था की वजह से ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ सकता है.”

सरकार क्या कहना है?

बजट के बाद देश के फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी स्वामिनाथन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने प्रॉपर्टी पर लगने वाले LTCG टैक्स के विषय पर सरकार का पक्ष रखा. स्वामिनाथन ने कहा,

“अगर आप रियल एस्टेट पर रिटर्न की दर 10 प्रतिशत प्रति वर्ष से अधिक और मुद्रास्फीति की दर 4 प्रतिशत प्रति वर्ष मानते हैं, तो वास्तविक रिटर्न की दर, लगभग 6-16 प्रतिशत मान लीजिए. अगर यह 16 प्रतिशत है, तो 16 प्रतिशत में से 20 प्रतिशत पर कर लगाया जा रहा था. यह घटकर 12.5 प्रतिशत हो गई है. लेकिन अगर रिटर्न की नॉमिनल दर सालाना 10 प्रतिशत हो, तो यह भी 12.5 प्रतिशत के हिसाब से पहले जितना ही कर देना होगा. तो, वास्तव में, संपत्ति और सोने पर कर की प्रभावी दर के संबंध में या तो कमी है या कोई बदलाव नहीं है.”

टैक्स देना ही ना पड़े?

प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स कम लगेगा या ज्यादा ये आपको जब बेचेंगे तब पता चलेगा. लेकिन एक तरीका है कि सरकार को टैक्स चुकाना ही ना पड़े. दरअसल, इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 54 कहता है कि अगर आप प्रॉपर्टी बेचते हैं और जो पैसा मिलता है उससे दूसरी प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं तो LTCG टैक्स देना ही नहीं पड़ेगा. लेकिन नया इन्वेस्टमेंट पुरानी प्रॉपर्टी बेचने के दो साल के भीतर होना चाहिए.

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