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क्रेडिट कार्ड पर ब्याज का हिसाब मिनिमम अमाउंट भरकर चैन से सोने वालों की नींद उड़ा देगा

समय से क्रेडिट कार्ड बकाया भरने वाले को किसी तरह का ब्याज नहीं देना होगा. आंशिक भुगतान करने वाले या ड्यू डेट के बाद पेमेंट करने पर लेट पेमेंट फीस के अलावा ब्याज भी देना पड़ता है. जानिए ये ब्याज कैसे निकाला जाता है.

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क्रेडिट कार्ड बकाये पर महीने की ब्याज दर से कुल देनदारी निकाली जाती है. इस मासिक ब्याज दर को मंथली पर्सेंटेज रेट(MPR) कहते हैं. (तस्वीर साभारः Getty images & Freepik)

क्रेडिट कार्ड रखने वाले लोग कई बार पूरा पेमेंट करने की बजाय मिनिमम अमाउंट जमा करके बेफिक्र हो जाते हैं. उन्हें लगता है बाकी रकम पर ज्यादा से ज्यादा ब्याज ही तो देना पड़ेगा. लेकिन ब्याज देकर बकाया चुकाने का ऑप्शन लेने वाले लोगों को ब्याज का खेल अच्छे से समझ लेना चाहिए. बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने इस बारे में बिजनेस टुडे को बताया, 

“क्रेडिट कार्ड बकाया पर ब्याज एनुअल पर्सेंटेज रेट (APR) के हिसाब से लगता है. बैंक या उधार देने वाली कंपनी APR तय करती है, जो साल भर के हिसाब से फिक्स किया जाता है. हालांकि, क्रेडिट कार्ड बकाये पर महीने की ब्याज दर से कुल देनदारी निकाली जाती है. इस मासिक ब्याज दर को मंथली पर्सेंटेज रेट (MPR) कहते हैं. सालाना ब्याज दर को बिलिंग साइकल की संख्या से बांटकर MPR निकल जाता है. अलग-अलग तरह के कार्ड पर अलग-अलग APR होता है. इसलिए क्रेडिट कार्ड लेते समय APR की अच्छे से जानकारी ले लें.''

APR की जानकारी मिलने के बाद आप खुद से MPR निकाल सकते हैं. यानी बिल लेट होने पर इसी दर से कुल बकाया का फैसला होगा. वो फॉर्म्यूला हैः APR/एक साल में बिलिंग साइकल की संख्या. मिसाल के तौर पर सालाना ब्याज दर 36 फीसदी है और एक साल में 12 बार बिल आते हैं. इस तरह महीने का ब्याज दर 30/12 यानी 3 फीसदी होगा. 

कब-कब लगता है ब्याज?

-अगर किसी यूजर ने ड्यू डेट तक कोई पेमेंट नहीं किया है तो लेट पेमेंट चार्ज और क्रेडिट कार्ड इंटरेस्ट दोनों देना पड़ता है. 

-ड्यू डेट तक सिर्फ आंशिक भुगतान किया है तो बकाया रकम पर ब्याज लगेगा. 

-अगर आंशिक भुगतान के बाद कार्ड से कोई नया पेमेंट किया जाता है तो कुल बकाये पर ब्याज लगता है. यूजर जब तक पिछला बकाया पूरा नहीं भरता तब तक ब्याज देते रहना होगा.

-क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने पर दिन से लेकर जब तक यूजर पूरी रकम वापस जमा नहीं कर देता उस दिन तक क्रेडिट कार्ड पर ब्याज देना पड़ेगा.

पूरा बिल भरने पर कोई ब्याज नहीं

ब्याज का गुणा भाग समझने के लिए दी लल्लनटॉप ने पैसाबाजार से बात की. आपको इसे उदाहरण से समझाते हैं. मान लेते हैं किसी आदमी ने क्रेडिट कार्ड से 1 मार्च, 2023 को 10,000 रुपये का पेमेंट किया. 6 मार्च, 2023 को स्टेटमेंट जारी हो गई. 10,000 रुपये के पेमेंट पर न्यूनतम बकाया रकम हुई 500 रुपये (कुल रकम का 5 फीसदी). बिल भरने की आखिरी तारीख है 26 मार्च, 2023. आखिरी तारीख के बाद बिल भरने की स्थिति में कुल बकाया पर 3 फीसदी की दर से ब्याज लगेगा. नया स्टेटमेंट जारी होने की अगली तारीख है 6 अप्रैल, 2023. अब इस आदमी के सामने चार स्थितियां बन सकती हैं.

I) अगर इस यूजर ने 26 मार्च, 2023 तक पूरी रकम चुका दी है तो उसे किसी तरह का ब्याज नहीं देना होगा.

ii) अगर यूजर ने ड्यू डेट यानी 26 मार्च से पहले आंशिक भुगतान किया तो उसे बकाया रकम पर ब्याज देना होगा. मिसाल के तौर पर इस आदमी ने ड्यू डेट 26 मार्च, 2023 से पहले 21 मार्च को 5,000 रुपये का भुगतान कर दिया. इसके बाद अगली स्टेटमेंट आने तक उसने कोई पेमेंट नहीं किया. अब 6 अप्रैल, 2023 को जब अगला स्टेटमेंट आएगा उसमें कुल बकाया 5,000 रुपये+ब्याज जोड़कर लिखा होगा. यहां पर 1 मार्च से 21 मार्च तक 10,000 रुपये पर ब्याज लगेगा. इसके बाद 22 मार्च से 6 अप्रैल तक यानी 15 दिनों तक बकाये यानी 5,000 रुपये पर ब्याज लगेगा.

ऐसे गिना जाएगा ब्याज 

21 दिनों के लिए 10,000 पर ब्याज=  [(21X10,000 X 3%X12)] ÷365 दिन=207.12 रुपये.

15 दिनों के लिए 5,000 रुपये पर ब्याज= [(15X5,000X3%X12)] ÷365 दिन= 73.79रुपये

कुल ब्याज= 207.12+73.97= 281.09 रुपये

(iii) तीसरी स्थिति तब बनती है अगर इस यूजर ने ड्यू डेट यानी 26 मार्च, 2023 के बाद आंशिक भुगतान किया. तब कैसे ब्याज लगेगा? इसे भी एक उदाहरण से समझते हैं. मान लेते हैं इस आदमी ने ड्यू डेट के बाद 28 मार्च, 2023 को 5,000 रुपये चुकाए. इस स्थिति में मूलधन यानी 10,000 रुपये पर 28 दिनों के लिए ब्याज लगेगा. इसके अलावा बाकी 5,000 रुपये पर 28 मार्च से 6 अप्रैल तक 9 दिनों के लिए ब्याज लगेगा.

ऐसे गिना जाएगा ब्याज

28 दिनों के लिए 10,000 पर ब्याज= [(28 x 10,000 रुपये x 3% x 12)] ÷ 365 दिन= 276.16 रुपये.

अगले 9 दिनों के लिए 5,000 रुपये पर ब्याज- [(9 x 5,000 रुपये x 3% x 12)] ÷ 365 दिन = 44.38 रुपये.

ब्याज से कुल पेमेंट=  276.16+44.38 रुपये = 320.54 रुपये 

(iv) चौथी स्थिति बनती है, अगर ग्राहक ने ड्यू डेट के बाद आंशिक भुगतान किया और बकाया चुकाने से पहले एक और पेमेंट कर दिया. इस स्थिति में ब्याज कितना लगेगा ये समझते हैं. मान लेते हैं इस आदमी ने ड्यू डेट 26 मार्च से पहले ही 15 मार्च को 2,000 रुपये की एक और खरीदारी कर ली. इसके बाद 28 मार्च को 5,000 रुपये का आंशिक भुगतान किया. 

ऐसे गिना जाएगा ब्याज

15 दिनों के लिए बकाये यानी 10,000 रुपये पर ब्याज= [(15 x 10,000रुपये x 3% x 12)] ÷ 365 दिन= 147.94 रुपये

13 दिनों के लिए नए बकाये पर ब्याज=[(13 x (12,000 रुपये x 3% x 12)] ÷ 365 दिन= 153.86 रुपये (नया बकाया= 10,000+2,000=12,000)

आंशिक भुगतान के बाद 9 दिनों के लिए ब्याज=[(9 x 7,000रुपये x 3% x 12)] ÷ 365 दिन=62.14 रुपये

कुल ब्याज= 147.94 रुपये +153.86 रुपये + Rs. 62.14 रुपये= 363.94 रुपये

जिन लोगों को ब्याज देकर बकाया भरना ज्यादा सहूलियत भरा लगता है, उन्हें मालूम होना चाहिए कि ऐसा करना क्रेडिट हेल्थ पर नेगेटिव असर डाल सकता है. यूजर के मन में सवाल आ सकता है कि देर से ही सही भुगतान तो पूरा दिया जा रहा है. जो ब्याज लग रहा है वो भी दिया जा रहा है, फिर क्रेडिट स्कोर पर क्यों असर पड़ेगा?

दरअसल न्यूनतम बिल भरने से क्रेडिट लिमिट के मुकाबले इस्तेमाल की गई रकम लगातार बढ़ती जाती है. इसका असर क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशो (CUR) यानी कार्ड लिमिट के मुकाबले इस्तेमाल रकम के रेशो पर पड़ता है. कंपनी मानती है कि ऐसे ग्राहक अपना खर्चा निकालने के लिए पूरी तरह क्रेडिट कार्ड पर ही निर्भर हैं. CUR के आधार पर ही क्रेडिट स्कोर तय होता है. CUR अगर 30 फीसदी से ज्यादा पहुंचता है तो क्रेडिट स्कोर पर नेगेटिव असर पड़ना शुरू हो जाता है. इसलिए जानकार सुझाव देते हैं कि अगर यूजर्स के पास पैसे की दिक्कत है तभी ड्यू डेट मिस करें. भलाई इसी में है कि समय से बिल का भुगतान करते चलें.

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