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अमेरिका में ऐसा क्या हुआ जो इंडियन शेयर मार्केट खुलते ही क्रैश हो गया?

Stock Market Crash: Indian Share Market 5 अगस्त को खुलते ही क्रैश हो गया. जहां BSE सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 2401.49 पॉइंट गिरकर 78,580.46 पर पहुंच गया. वहीं NSE निफ्टी में भी 489.65 अंक की गिरावट दर्ज की गई.

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अमेरिकी अर्थव्यस्था में मंदी की आशंकाओं के बीच Indian Share Market में भारी गिरावट. (फाइल फोटो: PTI)

अमेरिकी अर्थव्यवस्था (US Economy Recession) में मंदी की आशंकाओं और वैश्विक शेयर बाजार में मची उथल-पुथल के बीच भारतीय शेयर बाजार 5 अगस्त को खुलते ही क्रैश (Indian Share Market Crash) हो गया. जहां BSE सेंसेक्स (BSE Sensex) शुरुआती कारोबार में 2401.49 पॉइंट गिरकर 78,580.46 पर पहुंच गया. वहीं NSE निफ्टी (NSE Nifty) में भी 489.65 अंक की गिरावट दर्ज की गई. यह 24,228.05 अंक पर आ गया.

सेंसेक्स की कंपनियों में अडाणी पोर्ट्स, मारुति, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, JSW स्टील्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर्स में सबसे ज्यादा गिरावट आई. वहीं हिंदुस्तान यूनीलीवर और सन फार्मा जैसी कंपनियां बढ़त के साथ कारोबार कर रही हैं.

अमेरिका में मंदी की आशंका

अमेरिका में बेरोजगारी पर आई एक रिपोर्ट के कारण दुनियाभर में शेयर मार्केट्स के सेंटीमेट प्रभावित हुए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में पिछले महीने 1.14 लाख नौकरियां आईं. ये नौकरियां अनुमान से 35 फीसदी कम थीं. वहीं पिछले महीने अमेरिका में बेरोजगारी दर 4.3 प्रतिशत हो गई. यह बेरोजगारी दर अक्टूबर 2021 के मुकाबले सबसे ज्यादा है. वहीं अमेरिका में पिछले 3 महीने की औसत बेरोजगारी दर पिछले 12 महीने की न्यूनतम बेरोजगारी दर 3.6 प्रतिशत से अधिक है.

दरअसल, अमेरिका में मंदी की आशंका Sahm रूल से जुड़ी है. ये नियम कहता है कि अगर अगर तीन महीने की औसत बेरोजगारी दर पिछले 12 महीने की न्यूनतम बेरोजगारी दर से 0.5 प्रतिशत अधिक है तो मंदी आती है. इंडिया टुडे तक चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर अपने एक विश्लेषण में बताते हैं कि अमेरिका में 1970 के बाद से यह नियम सही साबित हुआ है.

वो अपने विश्लेषण में आगे लिखते हैं कि अमेरिका के शेयर बाजार में पिछले हफ्ते गिरावट आई है. टेक्नॉलजी शेयर्स का हाल-चाल बताने वाला NASDAQ इंडेक्स करीब 4 प्रतिशत गिर चुका है. वहीं अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की. ऐसा बताया जा रहा है कि अब यह कटौती सितंबर में हो सकती है क्योंकि बेरोजगारी बढ़ रही है.

मिलिंद खांडेकर आगे लिखते हैं कि कोविड-19 महामारी के बाद महंगाई को काबू में रखने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ाया ताकि लोगों के हाथ से पैसे खींच लिए जाएं. क्योंकि पैसे कम होने पर लोग खर्च भी कम करेंगे. खर्च कम होगा तो महंगाई नियंत्रण में रहेगी. लेकिन ऐसे करने से मंदी का भी डर बना रहता है.

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मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन और यूरोप भी इस भी समय मंदी से जूझ रहे हैं. वहीं दुनियाभर में अलग-अलग वजहों से उपजे तनाव के चलते भी बाजारों पर दबाव बढ़ रहा है.

इस बीच दूसरे शेयर बाजारों में भी गिरावट देखी गई. जापान के NIKKEI इंडेक्स में 5.77 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं TOPIX इंडेक्स में 7.41 प्रतिशत की गिरावट आई. ऑस्ट्रेलिया के S and P इंडेक्स में 2.78 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया के KOSPI इंडेक्स में 4.32 प्रतिशत और KOSDAQ में 4.78 प्रतिशत की गिरावट आई. इधर, हांगकांग का Hang Seng इंडेक्स भी लाल निशान में कारोबार कर रहा था और इसमें 1.59 प्रतिशत की गिरावट आई है.

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