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चांदी में निवेश का ये तरीका कराएगा मोटी कमाई, चोरी का झंझट भी नहीं

अगर हाजिर बाजार में चांदी का दाम बढ़ेगा तो सिल्वर ETF का दाम भी बढ़ेगा.

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फंड मैनेजर निवेशकों के पैसों से चांदी खरीदते हैं और उसे तिजोरी में रखते हैं. (Image Credit- Silverforum & Pexel)

दशकों से लोग चांदी के मुकाबले गोल्ड में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं. लेकिन सच ये है कि सोने की तरह चांदी से भी अच्छी खासी कमाई की जा सकती है. इसके बावजूद लोग गोल्ड में निवेश करना पसंद करते हैं. इसकी प्रमुख वजह ये है कि सोने के मुकाबले चांदी की सुरक्षा को लेकर लोगों को चिंता रहती है क्योंकि जितने रुपये में 10-12 ग्राम सोना आता है उतने रुपये में करीब एक किलो चांदी आती है. इससे जाहिर है कि निवेशकों को सोने का संभालकर रखना काफी आसान काम लगता है.  

अगर आप भी इसी वजह से सिल्वर में निवेश करने से बच रहे हैं या गोल्ड खरीदने के लिए पैसा नहीं है तो आप सिल्वर ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं. जैसे-जैसे सर्राफा बाजार में चांदी के दाम घटते बढ़ते हैं वैसे ही सिल्वर ईटीएफ की कीमतें भी घटती-बढ़ती हैं. मतलब साफ है कि अगर आप सर्राफा मार्केट में चांदी खरीदने की जगह अगर सिल्वर ईटीएफ में पैसा लगाते हैं तो उतना ही फायदा मिलता है और चांदी की सुरक्षा के लिए परेशान भी नहीं होना पड़ता है.

आइए जानते हैं ईटीएफ क्या है?

पहले जानते हैं ईटीएफ क्या होता है? ETF एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में जमा होने वाला पैसा अलग-अलग तरह के असेट में इनवेस्ट करते हैं. जैसे कमोडिटीज, स्टॉक, बॉन्ड्स वगैरह. इसी तरह सिल्वर ईटीएफ में जमा होने वाला पैसा चांदी के बिस्कुटों में या ऐसे माध्यमों में लगाया जाता है जो चांदी में पैसा लगाते हैं. म्यूचुअल फंड में जो निवेश करता है उसे फंड की एक यूनिट मिलती है. इसे NAV कहते हैं. सिल्वर ईटीएफ में NAV की दाम चांदी की कीमत के हिसाब से तय होता है. सेबी के नियमों के मुताबिक सिल्वर ईटीएफ के पास टोटल जितना फंड जमा है उसका 95 फीसदी चांदी या उससे जुड़े माध्यमों में ही लगाना होगा. 

कैसे काम करता है सिल्वर ईटीएफ

अगर बाजार में चांदी का दाम बढ़ेगा तो ETF की NAV का दाम भी बढ़ेगा. अगर चांदी का दाम घटेगा तो ETF की NAV का दाम भी घटेगा. ईटीएफ के लिए सेबी ने कुछ नियम-कानून किए हुए हैं. सेबी ये चेक भी करता है कि ईटीएफ इन नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं. म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर निवेशकों के पैसों से चांदी खरीदते हैं और उसे तिजोरी में रखते हैं. एक ऑडिटर जाकर ये चेक करता है कि फंड हाउस ने जितनी चांदी तिजोरी में रखने की जानकारी दी है असल में उतनी चांदी तिजोरी में रखी गई है या नहीं. जांच के बाद ऑडिटर रिपोर्ट देता है.

सिल्वर ETF के फायदे

शुद्धताः सिल्वर ईटीएफ जो चांदी खरीदते हैं वो 99.99 फीसदी शुद्ध होती है. इसलिए सिल्वर ईटीएफ में निवेश करने वालों को शुद्धता के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती.

महंगाई का बेजोड़ तोड़ः महंगाई के मुकाबले सोने-चांदी की कीमत ज्यादा बढ़ती है. इसलिए लोग गोल्ड और सिल्वर में निवेश को प्राथमिकता देते हैं. किसी मुश्किल समय में सोने चांदी में निवेश बड़ी मुसीबत से बचा सकता है.

स्टोर करने की झंझट नहींः सिल्वर ETF में इनवेस्ट करके निवेशक स्टोरेज और उसकी फीस के तामझाम से बच सकते हैं. जब आप निवेश के लिए पैसा फंड हाउस को देते हैं तो स्टोरेज और सिक्योरिटी भी पूरी तरह फंड हाउस की ही जिम्मेदारी होती है.

बंट जाता है रिस्कः अगर आप पहले से कई तरह के निवेश के माध्यमों में पैसा लगाते हैं तो आपको संभावित जोखिम का भली-भांति अंदाजा होगा. इसलिए जानकार हमेशा यही सलाह देते हैं कि निवेशकों को हर तरह के असेट में निवेश करना चाहिए. ताकि उनके ओवरऑल रिस्क की दर औसत हो जाए.

टैक्स का हिसाब किताब भी समझ लीजिएः सिल्वर से जुड़े असेट में निवेश को अगर 36 महीनों से अधिक समय के लिए रखा गया है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. ऐसी स्थिति में सिल्वर ईटीएफ से जो भी फायदा होगा उस पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. अगर सिल्वर ईटीएफ में तीन से कम साल के निवेश किया है तो निवेशक को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. इस प्रॉफिट को इनकम में गिना जाएगा और उसी दर से टैक्स लिया जाएगा.

निवेश करने से पहले ये समझ लीजिए

आप कितना रिस्क ले सकते हैंः सिल्वर ईटीएफ या किसी भी माध्यम में निवेश करने से पहले ये देख लें कि आप उस पैसे पर कितना नुकसान झेलने की क्षमता रखते हैं. सोने-चांदी में नफा और नुकसान दोनों ही भारी भरकम होते हैं. मगर इन दोनों में चांदी के भाव गोल्ड के मुकाबले ज्यादा तेजी से घटते बढ़ते हैं.

एक्सपेंस रेशियोः तमाम कंपनियां ईटीएफ बेच रही हैं, जिनका एक्सपेंस रेशियो कम हो उसमें ही पैसा लगाएं. सभी फंड हाउस आपके पैसे को मैनेज करने के नाम पर एक फीस लेते हैं यही एक्सपेंस रेशियो कहलाती है. जितना ज्यादा एक्सपेंस रेशियो उतना कम रिटर्न होगा.

दाम ट्रैक करने में कोई गड़बड़ी तो नहींः जैसा की ऊपर भी बताया गया है कि सिल्वर ईटीएफ का दाम खुले बाजार में चांदी के दाम के हिसाब से घटता बढ़ता है. लेकिन कई ईटीएफ फंड ट्रैकिंग के लिए जिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं वह चांदी के सही दाम ट्रैक नहीं करती. इसलिए निवेशकों को ऐसे ईटीएफ ही चुनना चाहिए जिसका ट्रैकिंग एरर कम हो.
सेबी का नियम कहता है कि फंड हाउसों को ट्रैकिंग एरर 2 फीसदी से कम रखना होगा. अगर यह 2 फीसदी से ज्यादा  है तो उन्हें अपने प्लैटफॉर्म पर इसकी जानकारी देनी होगी.