The Lallantop

क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं आएगा ज्यादा, स्टेटमेंट पर जरा सा गौर कर लिया तो!

क्रेडिट कार्ड कंपनियां हर महीने बिल या स्टेटमेंट जारी करती हैं. इसमें कुल बकाया से लेकर बकाया भरने की आखिरी तारीख, मिनिमम बकाया, लेट फीस जैसी जरूरी चीजों की जानकारी होती है.

post-main-image
क्रेडिट कार्ड लिमिट का मतलब होता है क्रेडिट कार्ड से अधिकतम कितने रुपये खर्च कर सकते हैं. (Image credit- Freepik)

अगर आप क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं तो आपको हर महीने एक स्टेटमेंट मिलता होगा. क्रेडिट कार्ड के नए कस्टमर्स के लिए इस स्टेटमेंट को समझना एक बड़ी जद्दोजहद का काम होता है. इसे ठीक से नहीं समझना कार्ड होल्डर्स को बड़ी मुश्किल में डाल सकता है. वजह है, इसमें क्रेडिट कार्ड पेमेंट, बकाया, ब्याज और लेट फीस से जुड़ी सारी जानकारी दी होती है. इन्हीं चीजों के आधार पर क्रेडिट कार्ड का टोटल बकाया तय होता है.

बकाया भरने में थोड़ी से भी देरी से उधार तो बढ़ता ही है, साथ में क्रेडिट स्कोर भी खराब होता है. इसलिए आइए जानते हैं क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में दी चीजों का क्या मतलब होता है? कौन सी चीज पेमेंट के लिहाज से बेहद जरूरी होती है और उसे किस आधार पर निकाला गया है.

1. अकाउंट समरी

क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में कई अहम जानकारियां होती हैं. इसी स्टेटमेंट में एक बक्सा ‘अकाउंट समरी’ या ‘पेमेंट समरी’ नाम से दिया होगा. इसमें ट्रांजैक्शन से लेकर तमाम बिल, ब्याज जैसे कि- पिछले बिलिंग साइकल में हुए ट्रांजैक्शन, पिछले साइकल का कितना बकाया है, उस बकाये पर कितना ब्याज बन रहा है, टोटल कितनी रकम चुकानी है, कौन-कौन सी फीस और चार्जेज लगे हैं, बिलिंग साइकल पूरी होने में कितने दिन बाकी हैं, क्रेडिट लिमिट, स्टेटमेंट क्लोजिंग डेट. स्टेटमेंट क्लोजिंग डेट का मतलब है उस तारीख तक किए गए सभी ट्रांजैक्शन इस बिलिंग साइकल में गिने जाएंगे. इसके बाद किया गया कोई भी ट्रांजैक्शन अगले बिलिंग साइकल में गिना जाएगा.

2. क्रेडिट कार्ड की लिमिट

क्रेडिट कार्ड लिमिट का मतलब होता है क्रेडिट कार्ड से अधिकतम कितने रुपये खर्च कर सकते हैं. पहली बार क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वालों की क्रेडिट कार्ड लिमिट कम ही रहती है. यह सीमा बैंक तय करता है. कार्ड होल्डर इस सीमा से अधिक खर्च नहीं कर सकता. हालांकि, कुछ कंपनियां लिमिट से अधिक खर्च करने की इजाजत देती हैं. मगर ये रियायत कुछ नियम और शर्तों के साथ आती है. लिमिट से ज्यादा खर्च करने से पहले नियम शर्तें ध्यान से पढ़ लें. वरना भारी कर्ज में फंस सकते हैं.

3. पेमेंट ड्यू डेट

क्रेडिट कार्ड का बकाया भरने की एक आखिरी तारीख होती है. ये तारीख स्टेटमेंट में ‘पेमेंट ड्यू डेट’ नाम से लिखी दिख जाएगी. कोशिश करनी चाहिए कि बिल भरने के लिए आखिरी तारीख का इंतजार न करें. ऑनलाइन पेमेंट करते समय हो सकता है तकनीकी खराबी के कारण पेमेंट अटक जाए. अगर चेक से भरा है तो उसे बैंक में क्रेडिट होने में ही तीन दिन लगते हैं. इस तरह आपका पेमेंट ड्यू डेट के बाद ही गिना जाएगा. ऐसे में ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा, लेट फीस भी देनी पड़ेगी. इसलिए स्टेटमेंट मिलते ही सबसे पहले ड्यू डेट चेक करें और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी पेमेंट कर दें.

4. टोटल अमाउंट ड्यू

स्टेटमेंट बिल में ऊपर ही टोटल पेमेंट ड्यू लिखा मिलेगा. ये वो रकम है जो आपको चुकानी है. इस टोटल पेमेंट ड्यू में मिनिमम ड्यू अमाउंट, पिछले बिलिंग साइकल में कोई बकाया है तो वो अमाउंट, साथ में उस पर कितना ब्याज बना है, लेट फीस, सर्विस फीस, पेनल्टी फीस भी जुड़े होते हैं. पेनल्टी समेत कोई अतिरिक्त फीस न भरनी पड़े इसके लिए टोटल ड्यू अमाउंट चेक करना जरूरी है.

5. मिनिमम अमाउंट ड्यू

टोटल अमाउंट ड्यू के अंदर मिनिमम अमाउंट ड्यू भी दिखेगा. मिनिमम अमाउंट ड्यू वो न्यूनतम रकम है जो भरना जरूरी होता है. कई बार ऐसा होता है कि कार्ड होल्डर के पास पूरा बिल भरने के लिए एकमुश्त पैसा नहीं होता है. ऐसे लोगों के लिए ही मिनिमम बकाया रकम दी जाती है. ये कुल बकाया रकम का 3 से 5 फीसदी होती है. न्यूनतम बकाया भरकर लेट फीस से बच सकते हैं. 

6. बैंकिंग फीस

कई बार क्रेडिट कार्ड का बिल उम्मीद से ज्यादा आ जाता है और लोग सदमे में आ जाते हैं. दरअसल, क्रेडिट कार्ड कंपनियां तमाम तरह के फीस वसूलती हैं. जैसे कि लेट पेमेंट पर पेनल्टी, ब्याज चार्ज, फॉरेन एक्सचेंज मार्कअप फीस, कैश एडवांस फीस वगैरह. इसलिए इन चार्जेज को अच्छे से समझ लेना चाहिए. अगर लगता है कि कुछ करके ये फीस बचाई जा सकती थी तो अगली बार उस गलती के प्रति सावधान रहें.

7. ग्रेस पीरियड

ज्यादातर कंपनियां बिलिंग साइकल बंद होने के करीबन 20-25 दिन बाद पेमेंट ड्यू डेट देती हैं. हालांकि, RBI के नियमों के मुताबिक आखिरी तारीख बीतने के तीन दिनों बात तक भी पेमेंट ना मिले तभी बैंक लेट फीस लगा सकते हैं. डेडलाइन बीतने के बाद के ये 3 दिन ही ग्रेस पीरियड कहलाते हैं. अगर इन तीन दिनों में भी बिल नहीं भरा गया तो ड्यू डेट से ब्याज लगना शुरू हो जाएगा.

8. नोटिस ऑफ लेट पेमेंट

स्टेटमेंट में चेतावनी के तौर पर एक नोटिस भी लिखा मिलेगा. इसमें लिखा होगा कि लेट पेमेंट फीस से बचने के लिए मिनिमम पेमेंट भरने की सलाह दी जाती है. लेट फीस नहीं भरने पर लेट पेमेंट फीस की जानकारी भी लिखी मिलेगी.

9. पॉइंट्स या कैशबैक

क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर हर कार्ड होल्डर को कुछ पॉइंट्स या कैशबैक मिलते हैं. कई जगह शॉपिंग करने पर इन पॉइंट्स के बदले डिस्काउंट पा सकते हैं. एक बिलिंग साइकल में कितने रिवॉर्ड पाइंट या कैशबैक मिला है, स्टेटमेंट में इसकी जानकारी भी होगी. ताकि, एक्सपायर होने से पहले आप इन पॉइंट्स का इस्तेमाल कर लें.

10. ट्रांजैक्शन की जानकारी

कार्ड होल्डर्स को स्टेटमेंट मिलते ही ट्रांजैक्शन वाला कॉलम देखना चाहिए. इसमें बिलिंग साइकल के दौरान कार्ड के जरिए जितने भी पेमेंट किए गए हैं उसकी जानकारी होती है. एक कार्ड होल्डर होने के नाते ये देखना आपकी जिम्मेदारी है कि ट्रांजैक्शन में कोई गलती तो नहीं है. अगर कोई गलती दिख रही है तो बैंक के पास या क्रेडिट कार्ड कंपनी के पास तुरंत शिकायत करें. इसके अलावा ट्रांजैक्शन को देखकर आप अपनी खर्च की आदतों को समझ सकते हैं. और अगली बार से खर्च करते हुए सतर्कता बरत सकते हैं.