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BluSmart वाले जग्गी ब्रदर्स का 'खेल', लोन के पैसे से आलीशान अपार्टमेंट, महंगी घड़ियां... लिस्ट बहुत लंबी है

जग्गी ब्रदर्स पर आरोप लगाया है कि निवेशकों से मिले पैसों को अपने ऐशो-आराम पर खर्च किया. जांच में पाया गया कि लोन लेने के लिए दिए गए दस्तावेज़ों में भी हेराफेरी की. SEBI ने यह भी पाया कि Gensol ने निवेशकों को बरगलाया.

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Gensol के मालिक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी. (फोटो- इंडिया टुडे)

BluSmart कैब्स का नाम आपने सुना ही होगा. यह उबर का विकल्प बनकर मार्केट में आई थी. इस कैब सर्विस को दूसरी कैब सर्विस देने वाली कंपनियों से बेहतर माना जाता था. क्योंकि एक तो इन्हें बुक करने पर EV गाड़ियां आती थीं और दूसरा कि काफी लग्ज़री सर्विस भी देती थी. लेकिन अब इसने कुछ जगहों पर अपनी बुकिंग सर्विस रोक दी है. यह ख़बर ऐसे समय में आई है जब SEBI ने Gensol Engineering कंपनी पर डंडा चलाया है. कंफ्यूज़ मत होइए, आपको बता देते हैं कि BluSmart, Gensol की ही एक सब्सिडरी कंपनी है. इसके मालिक और डायरेक्टर हैं अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी (Jaggi brothers diverted loan funds). SEBI ने इन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. दोनों को शेयर मार्केट से बैन कर दिया गया है. क्या है पूरा मामला आइए जानते हैंः

Jaggi Brothers पर SEBI का एक्शन

जैसे भारत के सभी बैंकों पर नज़र रखने के लिए RBI है, ठीक उसी तरह शेयर मार्केट को रेगुलेट करने के लिए SEBI है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI ने जग्गी ब्रदर्स पर आरोप लगाया है कि निवेशकों से मिले पैसों को अपने ऐशो-आराम पर खर्च किया. फंड में धोखाधड़ी की. दोनों को किसी भी लिस्टेड कंपनी में कोई भी बड़ा पद लेने पर भी रोक दिया है. साथ ही कंपनी के शेयरों को स्प्लिट करने से भी रोका है. अब ख़बर आई है कि जग्गी ब्रदर्स ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है.

क्या करती है Gensol

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने 2012 में Gensol Engineering की स्थापना की थी. शुरुआत में इसने सोलर एनर्जी कंसलटेंसी, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन के तौर पर अपना काम शुरू किया. कुछ समय बाद कंपनी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) के क्षेत्र में कदम रखा. इसी के तहत BluSmart कैब सर्विस भी शुरू की. 2019 में कंपनी के शेयर मार्केट में लिस्ट हुए और निवेश मिलने लगा. इलेक्ट्रिक व्हीकल के नाम पर करोड़ों का लोन लिया. 

ऐसे हुई धोखाधड़ी

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड के दौरान Gensol ने 830 करोड़ रुपये में 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीदने का फैसला किया. इन गाड़ियों को Blusmart को लीज़ देना था. 80 प्रतिशत राशि लोन से जुटाई गई. 20 प्रतिशत इक्विटी (मार्जिन) से आई. लोन देने वालों में सरकार के मालिकाना हक वाली कंपनियां भी शामिल थीं. 14 फरवरी 2025 तक Gensol ने 568 करोड़ रुपये में सिर्फ 4,704 EV वीकल खरीदे. 830 करोड़ और 568 करोड़ रुपये के बीच की क़रीब 262.13 करोड़ रुपये की राशि कहां है इसकी जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई. 

SEBI का आरोप है कि लोन लेने के लिए दिए गए दस्तावेज़ों में भी हेराफेरी की गई. SEBI ने यह भी पाया कि Gensol ने निवेशकों को बरगलाया. यह कहकर उनसे पैसे जुटाए गए कि उनकी कंपनी को 30,000 ईवी के लिए प्री-ऑर्डर मिले थे. SEBI के फैसले में कहा कि जब उनके दावे और दस्तावेज की जांच की गई तो चीज़ें मिसिंग थी. Gensol ने लोन लेने के लिए नौ संस्थाओं के साथ MOU साइन किए गए थे. लेकिन इनमें गाड़ियों की कीमत या डिलीवरी की कोई जानकारी नहीं थी.

कहां गए पैसे 

ET की रिपोर्ट में SEBI के हवाले से कहा गया कि पैसे ऐसे खर्च किए जैसे फंड प्रमोटरों का गुल्लक हो. लोन और निवशकों के पैसों से गुरुग्राम के सबसे ज़्यादा पॉश इलाके द कैमेलियास में 43 करोड़ रुपये का एक आलीशान अपार्टमेंट खरीदा. 26 लाख रुपये का गोल्फ सेट खरीदा गया. 66 लाख रुपये की UAE करेंसी खरीदी गई. थर्ड यूनिकॉर्न नाम के स्टार्टअप में भी पैसा लगाया गया. इसके लिए 50 लाख रुपये दिए गए. बता दें कि यह स्टार्टअप अशनीर ग्रोवर का है. इसके अलावा 17 लाख रुपये की जूलरी और घड़ियों के लिए टाइटन कंपनी को भुगतान किया गया. घूमने-फिरने के लिए मेकमाईट्रिप को तीन लाख रुपये की पेमेंट की गई. मां और पत्नियों को भी कैश ट्रांसफर किया गया.

कंपनी के शेयरों की स्थिति

Gensol का शेयर 2025 में अब तक 85% से ज़्यादा गिर चुका है. पिछले पांच कारोबारी दिनों में कंपनी के शेयर में 16.54% की गिरावट दर्ज की गई. वहीं पिछले एक महीने में शेयर 48.17% टूट चुका है. Gensol इंजीनियरिंग का मार्केट कैपिटल 471 करोड़ रुपये है.

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