तारीख थी 25 जनवरी. साल था 2023. अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिसर्च ने अडानी (Adani) ग्रुप पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड के आरोप लगाए. इस बात को अब करीब 22 महीने बीत गए हैं. अडानी ग्रुप पर एक बार फिर से गंभीर आरोप लगे हैं. अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और वहां कि सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने इस समूह की एक कंपनी अडानी ग्रीन पर सवाल उठाए हैं. समूह के चेयरमैन गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के जरिए अमेरिकी इनवेस्टर्स से झूठ बोलकर और बातें छिपाकर फंड्स लेने के आरोप लगे हैं.
अडानी के लिए इस बार मुसीबत बड़ी है, हिंडनबर्ग से इस तरह अलग है अमेरिका वाला मामला!
Gautam Adani US Case: अमेरिकी जिला न्यायालय ब्रुकलिन में दायर मामले के अनुसार, अमेरिकी निवेशकों से लिए पैसों का इस्तेमाल कथित तौर पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया था. इस बार दावा किया जा रहा है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत मिले हैं.
इस बार का मामला, हिंडनबर्ग के आरोपों से कहीं ज्यादा गंभीर है. क्योंकि अमेरिकी जिला न्यायालय ब्रुकलिन में दायर मामले के अनुसार, अमेरिकी निवेशकों से लिए पैसों का इस्तेमाल कथित तौर पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया था. इस बार दावा किया जा रहा है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत मिले हैं.
Hindenburg Report में क्या था?इस फर्म ने दावा किया था कि दो साल तक की जांच के बाद इसने जनवरी 2023 में 106 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की. ये रिपोर्ट तब आई थी, जब इस ग्रुप की एक बड़ी कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी FPO आने वाले थे. इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई और FPO को रद्द करना पड़ा.
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रिसर्च फर्म ने अडानी समूह पर जो आरोप लगाए थे, वो इस तरह से हैं-
- अडानी समूह कई दशक दशक से स्टॉक में हेरफेर कर रहा है और अकाउंटिंग फ्रॉड में भी शामिल है.
- इस ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की असली कीमत बहुत कम है लेकिन उन्हें बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया. हिंडनबर्ग ने दावा किया कि शेयर की असली कीमत सामने आएगी तो शेयर्स की कीमत में 85 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है.
- समूह की शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों पर बहुत ज्यादा लोन है. और कीमत बढ़ाकर दिखाए गए शेयरों को गिरवी रखकर लोन लिया गया है.
- अडानी समूह का नाम 4 बड़ी सरकारी जांच के मामलों से जुड़ा है. ये मामले मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्सपेयर का पैसा चुराने और भ्रष्टाचार के थे. अनुमान लगाया गया कि ये फ्रॉड करीब 17 बिलियन डॉलर (लगभग 1 लाख 43 हजार करोड़ रुपये) का है.
- हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि अडानी परिवार के सदस्यों ने मॉरीशस, UAE और कैरेबियन द्वीप समूहों में विदेशी शेल कंपनियां खोलने में मदद की. नकली या अवैध कारोबार और शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों से पैसा निकालने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट बनाए.
शेल कंपनी वैसी कंपनियों को कहते हैं जो सिर्फ कागजों पर होती हैं.
इस मामले से गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का भी नाम जुड़ा. दावा किया गया कि विनोद अडानी से जुड़ी कई कंपनियां ऐसी हैं जिनके वास्तव में होने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं है. कहा कि इन कंपनियों के कर्मचारियों के बारे में जानकारी नहीं है. ना कोई फोन नंबर है और ना ही उनकी ऑनलाइन उपस्थिति है. इसके बावजूद इन्होंने भारत में लिस्टेड अडानी ग्रुप की कंपनियों में अरबों रुपए ट्रांसफर किए हैं. - गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी पर हीरों के व्यापार में 2004-05 में डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस यानी DRI ने धांधली का आरोप लगाया था. जालसाजी और टैक्स फ्रॉड के अलग-अलग मामलों में कम से कम दो बार राजेश अडानी की गिरफ्तारी हो चुकी है. बाद में उनको अडानी ग्रुप का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया.
- हिंडनबर्ग ने दावा किया कि गौतम अडानी के बहनोई समीर वोरा को DRI ने इस हीरा व्यापार घोटाले का मास्टरमाइंड बताया था. और बार-बार झूठे बयान देने का आरोप भी लगाया था.
- फर्म ने कहा कि कई विदेशी शेल कंपनियां, अडानी ग्रुप की सबसे बड़ी पब्लिक शेयर होल्डर्स (नॉन प्रमोटर) हैं. उन्होंने दावा किया कि अगर SEBI के नियमों को कायदे से लागू किया जाए तो इन कंपनियों को शेयर बाजार से बाहर करना पड़ेगा.
ब्रुकलिन की अदालत में गौतम अडानी और सागर अडानी पर सोलर प्लांट से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए रिश्वत की प्लानिंग के आरोप लगे हैं. अमेरिकी DOJ और SEC ने दावा किया है कि इन्होंने एक भारतीय सरकारी अधिकारी को इन कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए 21 अरब रुपये अधिक की रिश्वत देने का वादा किया था. इनके अलावा 7 अन्य वरिष्ठ व्यावसायिक अधिकारियों पर रिश्वत की साजिश रचने के आरोप लगे हैं. अडानी समूह से जुड़े विनीत जैन को भी आरोपी बनाया गया है.
आरोप है कि इन्होंने रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के इस मामले में झूठे बयान दिए और बातें छिपाईं. और फिर इन्हीं गलत बयानों या दावों के आधार पर 14 अरब रुपये से अधिक के फंड्स जुटाए. इनमें सोलर प्लांट से जुड़े फंड्स भी शामिल थे.
DOJ ने दावा किया कि साल 2022 से 2024 के बीच खुद गौतम अडानी ने एक सरकारी अधिकारी से मुलाकात की. कहा गया कि वो अक्सर मिलते थे और रिश्वत की योजना पर बात करते थे. अनुमान लगाया गया है कि इन कॉन्ट्रैक्ट्स से 20 साल में टैक्स चुकाने के बाद 168 अरब रुपये से अधिक का मुनाफा होना था.
आरोपों के आधार क्या हैं?अदालती दस्तावेजों में कहा गया है कि अडानी और सरकारी अधिकारी की मुलाकात के सबूत वाले दस्तावेज उपलब्ध है. ये भी कहा गया है कि रिश्वत की योजना के लिए एक मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल किया गया था. ये भी कहा गया है कि सागर अडानी ने रिश्वत के वादे के विवरण के लिए अपने पर्सनल फोन का इस्तेमाल किया. ऐसे ही विनीत जैन ने रिश्वत से जुड़े दस्तावेजों की तस्वीर लेने के लिए अपने पर्सनल फोन का उपयोग किया. ये भी आरोप लगे हैं कि रूपेश अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने पावरपॉइंट और एक्सेल का उपयोग करके जानकारियों को जमा किया. इनमें रिश्वत के भुगतान और भुगतानों को छिपाने के तरीकों के बारे में बताया गया था.
अदालती दस्तावेज के अनुसार, रिश्वत के वादे के बाद जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच ओडिशा, जम्मू और कश्मीर, तमिलनाडु , छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में समझोते किए गए. बिजली वितरण कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड प्रोजेक्ट के तहत सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ बिजली बिक्री समझौते (PCAs) किए.
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इस मामले में एज्योर पावर ग्लोबल के कार्यकारी सिरिल कैबनेस पर भी आरोप लगे हैं. अडानी समूह ने इन आरोपों से इनकार किया है. हालांकि, इसके बावजूद अडानी ग्रुप के शेयर लगातार गिर रहे हैं.
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