जब भी किसी शेयर की क़ीमत तेज़ी से बढ़ने लगती है, तो अनुभवी निवेशक नए वालों को नसीहत देते हैं कि ज़्यादा उड़ो मत. शेयर मार्केट तो वैसे भी जोख़िमों के आधीन है. मगर ओवरटेक करने में जितना रिस्क है, उतनी ही चमत्कार की संभावना. दलाल स्ट्रीट के इतिहास में एक स्मॉल-कैप स्टॉक फ़र्म ने ऐसा ही कुछ कर दिया है.
एक दिन में 3 रुपये का शेयर ढाई लाख का हो गया, बाज़ार में ये कमाल आज तक नहीं हुआ
फ़र्ज़ कीजिए कि धनतेरस के अगले दिन एक सुबह आप उठे, अपने ट्रेडिंग ऐप में लॉग-इन करें और देखें कि लगभग भूला हुआ स्टॉक रातों-रात एवरेस्ट चढ़ गया है. यही कहानी है, एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स (Elcid Investments) की. फ़र्ज़ भर नहीं करना है. ऐसा वाक़ई हुआ है.
फ़र्ज़ कीजिए कि धनतेरस के अगले दिन एक सुबह आप उठे, अपने ट्रेडिंग ऐप में लॉग-इन करें और देखें कि लगभग भूला हुआ स्टॉक रातों-रात एवरेस्ट चढ़ गया है. यही कहानी है, एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स (Elcid Investments) की. फ़र्ज़ भर नहीं करना है. ऐसा वाक़ई हुआ है. एक स्मॉलकैप स्टॉक, जो 3.53 रुपये से बढ़कर 2,36,250 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया है. इसने नवलकिशोर निवेशकों से लेकर अनुभवी विश्लेषकों तक, सबके होश फ़ाख़्ता हो गए हैं.
2.36 लाख का एक शेयर. ऐसा भारतीय शेयर बाज़ार में आजतक नहीं हुआ. इससे पहले MRF वालों का एक शेयर 1.2 लाख तक पहुंचा था. मगर यह!
एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स मुंबई की कंपनी है. एक ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है. मल्लब ऐसी कंपनी, जो बैंक नहीं है. ज़ाहिरन उनके पास बैंकों जितने अधिकार नहीं होते, मगर बैंक जैसी कुछ सेवाएं देती हैं. जैसे कि लोन देना, पैसा जमा करना, वग़ैरा.
एशियन पेंट्स से इसका गहरा संबंध है. एशियन पेंट्स के प्रमोटर्स के पास एल्सिड में 75% हिस्सेदारी है. उनके अलावा प्रमुख शेयरधारकों में हाइड्रा ट्रेडिंग (9.04%) और 3A कैपिटल सर्विसेज (3.34%) हैं.
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एलसिड इन्वेस्टमेंट्स के पास एशियन पेंट्स में 1.28% हिस्सेदारी है. इसकी क़ीमत लगभग 3,600 करोड़ रुपये है. यह एल्सिड के 4,725 करोड़ रुपये के कुल बाज़ार पूंजीकरण का लगभग 80% है. सैमको सिक्योरिटीज़ की गणना के आधार पर इतने उच्च मूल्यांकन के बावजूद एल्सिड केवल 0.38 के प्राइस-टू-बुक मल्टिपल पर कारोबार करता है. माने भले ही कंपनी का मूल्यांकन बहुत ज़्यादा है, लेकिन इसकी संपत्ति की तुलना में इसका स्टॉक मूल्य कम है. माने निवेशकों के लिए अच्छा सौदा. वित्त वर्ष 24 के लिए एल्सिड ने मुख्य रूप से लाभांश से 235 करोड़ रुपये का राजस्व और 176 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा दर्ज किया.
एल्सिड के शेयर इतने कम क्यों थे?एल्सिड कई सालों से बहुत कम क़ीमत पर धंधा कर रहा था. वैसे तो 2011 से इसका मूल्य लगभग 3 रुपये प्रति शेयर था, लेकिन इसका प्रति शेयर बुक वैल्यू काफ़ी ज़्यादा थी — 5,85,225 रुपये.
उदाहरण से समझते हैं. फ़र्ज़ करें कि एल्सिड का शेयर एक ज़मीन का टुकड़ा है. इस ज़मीन का आधिकारिक मूल्य (बुक वैल्यू) बहुत अधिक था. मगर लोग इसे बेहद कम क़ीमत पर बेच रहे थे. अब यह अंतर इतना बड़ा था कि ज़्यादातर लोगों ने ज़मीन रोक ली. बेची नहीं. उन्हें पता था कि इसकी असली क़ीमत बहुत ज़्यादा है. चूंकि बहुत कम लोग अपनी ज़मीन को इतनी कम कीमत पर बेचने को तैयार थे, इसलिए बाज़ार में शायद ही कोई ख़रीदने वाला या बेचने वाला बचा था.
फिर इतना बड़ा उछाल कैसे?एल्सिड के शेयर की क़ीमत में भारी उछाल एक विनियामक हस्तक्षेप के कारण हुआ. सेक्योरिटी ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) ने पाया कि एल्सिड समेत कुछ कंपनियां अपने वास्तविक मूल्य की तुलना में बहुत कम क़ीमतों पर कारोबार कर रही थीं. इसे ठीक करने के लिए SEBI ने स्टॉक एक्सचेंजों से एक विशेष सत्र आयोजित करने को कहा.
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बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), दोनों ने होल्डिंग कंपनियों के लिए एक विशेष कॉल नीलामी सत्र आयोजित किया. इस विशेष सत्र ने एल्सिड के वास्तविक मूल्य को तय कर दिया, जो ऑब्वीयसली इसके पिछले मूल्य से बहुत ज़्यादा था. मज़े की बात यह कि कंपनी के पास नीलामी के लिए कुल 241 शेयर ही थे. नतीजतन इसके शेयर की क़ीमत में 6.7 मिलियन प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो रिकॉर्ड पर अब तक का सबसे अधिक वन-डे प्रॉफ़िट है.
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