आमतौर पर कारों का शौक हम सभी को होता है. शायद कोई विरला ही होगा जिसे कार ‘बेकार’ लगती होगी. किसी को देसी कार पसंद होती है तो कोई विदेशी कारों का दीवाना होता है. कई लोग पुरानी कारों का शगल भी रखते हैं. लेकिन इसके इतर आते हैं वो जो बहुत पुरानी कारों के मुरीद होते हैं. बहुत पुरानी मतलब विंटेज या क्लासिक कारें. ये खबर ऐसे ही (legally import cars older than 50 years) कारों के कद्रदानों के लिए है.
विंटेज कार: सरकार ने इस महंगे शौक को बहुत सस्ता कर दिया
50 साल से पुरानी क्लासिक या विंटेज कारों को देश में इंपोर्ट करने की अनुमति (legally import cars older than 50 years) मिल गई है. DGFT ने ऐसी कारों को भारत में निर्यात करने की अनुमति दे दी है. इसके लिए इंपोर्ट वाला लाइसेंस भी नहीं चाहिए होगा और इंपोर्ट ड्यूटी भी नहीं देनी होगी.

वैसे तो खबर तीन दिन पुरानी है मतलब 7 फरवरी की लेकिन है एकदम है विंटेज कारों जैसी. माने जैसे विंटेज कारों का दौर कभी खत्म नहीं होता, वैसे ही इस खबर का कोई दौर या दिन नहीं है. ये तो वो खबर है जिसका इंतजार करते कई दौर बीत गए. स्टोरी और कार दोनों का मीटर सेट. अब खबर.
दरअसल खबर ये है कि क्लासिक या विंटेज कारों को देश में इंपोर्ट करने की अनुमति मिल गई है. Directorate General of Foreign Trade (DGFT) ने विंटेज कारों को भारत में निर्यात करने की अनुमति दे दी है. इसके लिए इंपोर्ट वाला लाइसेंस भी नहीं चाहिए होगा. फिर क्या चाहिए होगा.
इतना पैसा जितने में शायद कई सारी नई कारें आ जाएं. ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि विंटेज कारें लाखों-करोड़ों में बिकती हैं. हमारे देश में भी ऐसी कारों के चाहने वाले कोई कम नहीं. लेकिन चाहत पर अभी तक नियमों का ब्रेक लगा हुआ था. पुरानी क्या नई कारें भी इंपोर्ट नहीं कर सकते थे. मतलब कम्पनियां कर सकती हैं लेकिन उसमें भी इंपोर्ट लाइसेंस और तगड़ी इंपोर्ट ड्यूटी वाला पंगा तो होता ही है. ऐसी कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी 70 से 100 फीसदी तक हो सकती है. जानकारी के लिए बता दें कि ऐसी नई कारें जो इंडिया में इंपोर्ट होती हैं उनको CBU (Completely Built Unit) कहते हैं. खैर इस पर कभी और बात करेंगे अभी क्लासिक कारों वाला गियर लगाते हैं.

DGFT ने 50 साल से ज्यादा पुरानी कारों को इंपोर्ट करने की अनुमति दे दी है. मतलब साल 1975 और उससे पहले विदेश में रजिस्टर कोई भी विंटेज कार भारत में आधिकारिक तौर पर लाई जा सकती है. इसके लिए कोई इंपोर्ट ड्यूटी नहीं और इंपोर्ट लाइसेंस भी नहीं चाहिए होगा. मगर कोई एजेंसी ऐसा नहीं कर पाएगी. मतलब ये आम लोगों के लिए है. असल यूजर्स के लिए. वैसे आम क्यों 'खास' लोगों के लिए लिखना चाहिए. असल यूजर्स के अलावा अगर कोई डीलर लेकर आया तो फिर लाइसेंस के साथ इंपोर्ट ड्यूटी भी देनी होगी.

इसके साथ ऐसी कार को अगले 5 साल तक बेचने की भी अनुमति नहीं होगी. वैसे भी विंटेज कार कौन ही बेचता है भला.
वैसे जाते-जाते आपकी एक उलझन दूर कर देते हैं. कई सारे लोग इंडिया में भी नई विदेशी कार की सवारी करते दिख जाते हैं स्पेशली यूट्यूब पर. ये इंपोर्ट नहीं बल्कि Carnet का कमाल है. एक किस्म का लाइसेंस जो विदेशी धरती पर अपनी कार चलाने के लिए चाहिए होता है. 6 महीने की वैधता होती है इसकी. आगे आप समझ गए होंगे.
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