आज की तारीख में कार खरीदना कोई मुश्किल काम नहीं. अगर जो आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो कार की कीमत का 90 फीसदी तक फाइनेंस हो जाता है. चंद दिनों में आपकी कार आपके पास होती है. कार खरीदना तो आसान है मगर उसका रखरखाव थोड़ा मुश्किल है. इसके पीछे हमारी और आपकी कम जानकारी भी एक वजह है. सर्विस (car service cost calculator) कब करवाना है वो तो पता है मगर सर्विस में क्या-क्या करवाना है, उसकी जानकारी आम आदमी को थोड़ा कम होती है. इसी का फायदा कई बार कार डीलर्स और सर्विस सेंटर उठा लेते हैं.
कार की सर्विस पर अनाप-शनाप खर्च नहीं करना पड़ेगा, बस इतना सा काम कर लेना
कई बार कार की आम सर्विस में भी बड़ा सा बिल (car service cost calculator) हमारे माथे आ जाता है. गाड़ी में ये खराब हो रहा है, ये वाला पार्ट तो बदलना ही चाहिए. ऐसा बोलकर काफी-कुछ बदल दिया जाता है जिसकी शायद उस समय तो जरूरत नहीं होती. कितना अच्छा होता जो हमें पता होता कि कौन सा पार्ट बदलना है.

नतीजतन एक आम सर्विस में भी बड़ा सा बिल हमारे माथे आ जाता है. गाड़ी में ये खराब हो रहा है, ये वाला पार्ट तो बदलना ही चाहिए. ऐसा बोलकर काफी-कुछ बदल दिया जाता है जिसकी शायद उस समय तो जरूरत नहीं होती. कितना अच्छा होता जो हमें पता होता कि कौन सा पार्ट बदलना है. चिंता नक्को. अब पता होगा.
सर्विस का गेम समझ लोवैसे कार के साथ एक्स्ट्रा चार्जेस का सिलसिला तो नई कार लेने से पहले ही स्टार्ट हो जाता है. उदाहरण के लिए कार इंश्योरेंस डीलर के यहां ज्यादा ही होता है. उसी इंश्योरेंस को अगर बाहर से लिया जाए तो अच्छी खासी बचत हो जाती है. जो आप डीलर से इसको मैच करने को कहते हैं तो ऐसा कर तो दिया जाता है मगर कंपलसरी डिडक्टिबल्स वाला कांड कर दिया जाता है. माने अगर कोई क्लेम हुआ तो कुछ पैसा आपको देना ही होगा. इसके बाद गाड़ी मिलते साथ ही पेंट कोटिंग से लेकर जंग से बचाने वाले कई झुनझुने दिए जाते हैं. हकीकत ये है कि दस लाख की गाड़ी पर 50 हजार की कोटिंग पैसे की बर्बादी है. हां जो आप कोई अल्ट्रा लग्जरी कार ले रहे तो कर लीजिए खर्चा.
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इस सब से बच गए तो फिर सर्विस के समय काफी कुछ होता है. माने कितने किलोमीटर पर या कितने महीने में सर्विस करवानी है, वो तो पता होता है मगर वहां क्या-क्या करवाना है. उसकी जानकारी कम होती है. इंजन ऑयल, ब्रेक ऑयल तक ही हमारी समझ जाती है. फिर जब सर्विस सेंटर पर बोला जाता है कि ये वाला पार्ट भी बदलना होगा तो हां के सिवा कोई चारा नहीं होता. मगर एक जुगाड़ है. आजकल हर कंपनी की वेबसाइट पर पूरे डिटेस्ल होते हैं कि कौन सी सर्विस पर क्या बदला जाएगा.

माने 10 हजार किलोमीटर पर कौन से पार्ट बदलना है और 50 पर कौन से. हालांकि ऐसा करना ही है वो जरूरी नहीं. क्योंकि कई बार पार्ट्स बदलना इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप गड्डी कैसे चलाते हैं. लेकिन जो आप नार्मल तरीके से कार चलाते हैं. रोज एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट पर जाते हैं तो ये सर्विस गाइड निश्चित तौर पर आपके काम की हो सकती है. इसके लिए आपको अपनी कर की वेबसाइट पर जाना होगा. जैसे
# उदाहरण के लिए आपके पास मारुति की कार है तो गूगल पर maruti car service calculator टाइप कीजिए.
# कंपनी की लिंक ओपन हो जाएगा
# यहां अपनी कार के डिटेल्स भर दीजिए
# अब गाड़ी कितने किलोमीटर चली है, वो डिटेल्स डाल दीजिए.

# इसके बाद आपकी गाड़ी में क्या-क्या होना है उसका मोटा-माटी खर्चा स्क्रीन पर दिख जाएगा.
# आजकल की कारों में ऐप की मदद से भी सर्विस कॉस्ट का पता लगाया जा सकता है. जो आपके पास ऐसी कार है तो उधर भी नजर डाल लीजिए.
इसके बाद जो आपको सर्विस सेंटर वाला ज्ञान दे तो आप कह सकते हैं कि ये चूना किसी और को लगाओ.
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