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Horlicks अब 'हेल्थ ड्रिंक' नहीं, कंपनी ने FND कैटेगरी में डाला, लेकिन ये है क्या?

कंपनी ने अपनी 'हेल्थ फूड ड्रिंक्स' कैटेगरी का नाम बदलकर ‘फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक्स’ (FND) कर दिया है. इसका क्या मतलब है?

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Hindustan Unilever  renamed Horlicks 'health drinks' category as 'functional nutritional drinks'
हिंदुस्तान यूनिलीवर ने Horlicks से 'हेल्थ' लेबल हटाया. (फोटो: इंडिया टुडे)
25 अप्रैल 2024 (Updated: 25 अप्रैल 2024, 19:54 IST)
Updated: 25 अप्रैल 2024 19:54 IST
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Horlicks और Boost जैसे कई ब्रांड चलाने वाली हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) ने अपनी 'हेल्थ ड्रिंक' कैटेगरी को रीब्रांड किया है. कंपनी ने 'हेल्थ फूड ड्रिंक्स' कैटेगरी का नाम बदलकर ‘फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक्स’ (FND) कर दिया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस बदलाव की घोषणा 24 अप्रैल को HUL के मुख्य वित्तीय अधिकारी रितेश तिवारी ने की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि ये बदलाव प्रोडक्ट की कैटेगरी को ज्यादा सटीकता और पारदर्शिता देगा.

'फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक' का मतलब

HUL के मुताबिक, फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक (FND) कैटेगरी प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों यानी माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी को पूरा करती है. ऐसी ड्रिंक जिसमें एल्कोहल न हो, जिसमें पौधे, जानवर, समुद्री जीव या सूक्ष्मजीव के बायोएक्टिव कंपोनेंट हों और जिससे हेल्थ को फायदा मिले, उसे फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है.

HUL ने ये बदलाव वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के हालिया निर्देश के बाद किया है. दरअसल, Ministry of Commerce and Industry ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों से अपने प्लेटफॉर्म और वेबसाइट से कई पेय पदार्थों को 'हेल्थ ड्रिंक' की कैटेगरी से हटाने को कहा था. मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि Bournvita और दूसरे पेय पदार्थों को ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि ये कैटेगरी देश के फूड लॉ में परिभाषित नहीं है.

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Bournvita और Nestle पर हुआ विवाद

Cadbury Bournvita पिछले साल उस समय विवादों में आ गया था, जब एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने आरोप लगाया था कि Bournvita में शुगर की मात्रा अधिक है. इसके बाद Bournvita का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी मॉन्डेलेज़ इंडिया ने इन्फ्लुएंसर को लीगल नोटिस भेजा. इन्फ्लुएंसर ने अपना वीडियो हटा लिया था. हालांकि, Bournvita पर सवाल उठने लगे थे. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने ब्रांड से सभी भ्रामक पैकेजिंग, विज्ञापन और लेबल वापस लेने को कहा था.

हाल ही में Nestle पर भी विवाद हुआ. आरोप लगाया गया कि ये ब्रांड भारत सहित दूसरे विकासशील देशों में नवजातों के लिए बेचे जाने वाले दूध में शुगर मिलाता है. ये भी कहा गया कि कंपनी ऐसा यूरोप या यूके के बाजारों में नहीं करती है. इसके बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने Nestle के सेरेलैक प्रोडक्ट से जुड़े विवाद की जांच शुरू की है. वहीं Nestle की ओर से सफाई दी गई है कि उन्होंने अपने प्रोडक्ट की न्यूट्रिशनल क्वालिटी के साथ कभी समझौता नहीं किया और न ही करेंगे.

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