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PM मोदी के चुनाव लड़ने पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट का फैसला आ गया

दिल्ली हाई कोर्ट में चुनाव आयोग को ये निर्देश देने की मांग की गई थी कि आयोग पीएम मोदी के चुनाव लड़ने पर छह साल के लिए बैन लगा दे. कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि PM मोदी ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है.

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Delhi High Court rejected plea seeking 6-year poll ban on PM Modi
दिल्ली हाई कोर्ट में PM मोदी पर चुनावी बैन वाली याचिका खारिज (फाइल फोटो: आजतक और PTI)
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सुरभि गुप्ता
29 अप्रैल 2024 (Updated: 29 अप्रैल 2024, 18:13 IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 6 साल के लिए चुनावी बैन लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. याचिका में कहा गया था कि PM मोदी ने धार्मिक स्थलों के नाम पर वोट मांगकर आचार संहिता का उल्लंघन किया है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक ये याचिका वकील आनंद एस जोंधले ने दायर की थी. उनकी मांग थी कि कोर्ट PM मोदी को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत छह साल के लिए चुनाव से अयोग्य घोषित करने का निर्देश चुनाव आयोग को दे.

दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा?

दिल्ली हाई कोर्ट ने जोंधले की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये याचिका पूरी तरह गलत है. जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता का मानना है कि आचार संहिता का उल्लंघन हुआ, लेकिन ‘कोर्ट के लिए चुनाव आयोग को किसी शिकायत पर कोई विशेष नजरिया अपनाने का निर्देश देना सही नहीं है’.

ये भी पढ़ें- PM मोदी पर आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतें हैं, चुनाव आयोग के अंदरख़ाने क्या चल रहा?

जोंधले की शिकायत क्या थी?

वकील आनंद एस जोंधले ने पीएम मोदी के 9 अप्रैल को यूपी में दिए गए चुनावी भाषण का हवाला दिया. जोंधले ने कहा कि PM मोदी ने लोगों से न केवल ‘हिंदू और सिख देवी-देवताओं और उनके पूजा स्थलों’ के नाम पर BJP को वोट देने की अपील की, बल्कि 'विपक्षी राजनीतिक दलों पर मुसलमानों का पक्ष लेने' वाली टिप्पणियां भी कीं.

यूपी के पीलीभीत में पीएम मोदी का भाषण, यहां सुनें-

जोंधले ने अपनी याचिका में कहा था कि पीएम मोदी का बयान आपसी नफरत पैदा करने का प्रयास करता है. जोंधले के मुताबिक उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की थी कि पीएम मोदी के खिलाफ IPC की धारा 153A (समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाना) के तहत FIR दर्ज की जाए. साथ ही, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाए. 

जोंधले के मुताबिक चुनाव आयोग ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील सिद्धांत कुमार की दलीलों को भी दर्ज किया. चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि ऐसी शिकायतें रोज़ाना मिल रही हैं और आयोग कानून के मुताबिक जोंधले की शिकायत पर गौर करेगा.

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