न्यूजक्लिक के एडिटर की रिमांड पर SC ने दिल्ली पुलिस को क्यों सुनाया?
प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी के बाद 180 दिनों में चार्जशीट फाइल नहीं करने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है.
ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म न्यूजक्लिक की फंडिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. 30 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि न्यूजक्लिक के एडिटर प्रबीर पुरकायस्थ को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में "जल्दबाजी" क्यों की गई? ऐसा करने से पहले उनके वकील को क्यों नहीं बताया गया? पुरकायस्थ ने अपनी गिरफ्तारी और UAPA के तहत अपनी रिमांड को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
पिछले साल 3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया था. वे अभी न्यायिक हिरासत में हैं. इंडिया टुडे से जुड़ीं सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता ने दिल्ली पुलिस से कई सवाल पूछे. बेंच ने पूछा,
"आपने उनके वकील को पहले जानकारी क्यों नहीं दी? आपने उन्हें (प्रबीर) एक दिन पहले शाम को ही गिरफ्तार किया था. आपके पास जानकारी देने के लिए पूरा दिन था. फिर सुबह 6 बजे उन्हें पेश करने की क्या जल्दबाजी थी."
बेंच ने कहा कि आप उन्हें सुबह 10 बजे भी पेश कर सकते थे. जजों ने ये भी कहा कि न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के तहत रिमांड सुनवाई के लिए उन्हें 10 या 11 बजे पेश करना और उनके वकील को जानकारी देना जरूरी था. बेंच ने आश्चर्य जताया कि पुरकायस्थ का रिमांड आदेश उनके वकील के आने से पहले दे दिया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रबीर पुरकायस्थ की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए और कहा कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है. सिब्बल ने कहा कि पुरकायस्थ को 'गिरफ्तारी का आधार' क्या है, ये नहीं बताया गया. उन्होंने बताया कि पुरकायस्थ को सुबह 6 बजे कोर्ट के सामने पेश किया गया और 6 बजे ही रिमांड ऑर्डर दे दिया गया. सिब्बल ने दावा किया कि पुरकायस्थ के वकील एक घंटे बाद सुबह 7 बजे वॉट्सऐप पर रिमांड एप्लीकेशन भेजा गया.
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वहीं, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की तरफ से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने बताया कि पुरकायस्थ की लीगल टीम को ये जानकारी थी कि उन्हें 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि वहां कानूनी सलाहकार के तौर पर वकील थे, इसलिए उनके वकील को बताने की जरूरत नहीं थी. ASG ने दलील दी कि पुरकायस्थ की गिरफ्तारी का आधार उनके रिमांड एप्लीकेशन में बताया गया था.
दोनों तरफ की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि आपने 180 दिनों में सही तरीके से चार्जशीट तक फाइल नहीं की है. हालांकि कोर्ट ने प्रबीर की गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. प्रबीर न्यूजक्लिक के फाउंडर एडिटर हैं. साल 2009 में उन्होंने इस मीडिया संस्थान को खड़ा किया था.
3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली में 88 जगहों और दूसरे राज्यों में सात जगहों पर छापेमारी की थी. न्यूजक्लिक के ऑफिस और कई पत्रकारों के घरों पर छापे हुए थे. और पत्रकारों के घरों से करीब 300 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए गए थे.
न्यूजक्लिक पर चीन से फंडिंग लेने का आरोप लगा था. पिछले साल अगस्त में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि न्यूजक्लिक को अमेरिकी बिजनेसमैन नेविल रॉय सिंघम से जुड़ी संस्थाओं से फंडिंग होती है. रिपोर्ट में बताया गया था कि नेविल रॉय किस तरह दुनिया भर की संस्थाओं को फंड करते हैं, जो चीनी सरकार के "प्रोपेगैंडा टूल" की तरह काम करती हैं. हालांकि न्यूजक्लिक ने सभी आरोपों को खारिज किया था.
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