बंधेज से लहरिया तक, कपड़ों के बहाने दिल पर छाप छोड़ते हैं ये प्रिंट्स, कभी सोचा ये आए कहां से?
रंग-बिरंगे कपड़े. फूल-पत्ती से लेकर ना जाने कितने तरह के डिजाइन लोग पहने-ओढ़े दिख जाते हैं. कई ऐसे डिजाइन हैं जो आंखों के सामने से गुजरे तो उनके बारे में जानने की काफी उत्सुकता होती है कि इनको कहते क्या हैं? सबसे पहले इन्हें किसने बनाया होगा, पहना होगा? इनकी खास बातें क्या हैं?
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. एक जिनका वॉर्डरोब (अलमारी) ब्लैक, ग्रे और वाइट से भरा होता है. दूसरे वो जिनके घर में आपको इंद्रधनुष से ज्यादा रंग मिल जाएंगे. अभी जो मौसम चल रहा है उसे 'दूसरी कैटेगरी' वालों का फेवरेट डिक्लेयर कर दें तो शायद गलत नही होगा. रंग-बिरंगे कपड़े. फूल-पत्ती से लेकर ना जाने कितने तरह के डिजाइन लोग पहने-ओढ़े दिख जाते हैं. कई ऐसे डिजाइन हैं जो आंखों के सामने से गुजरे तो उनके बारे में जानने की काफी उत्सुकता होती है कि इनको कहते क्या हैं? सबसे पहले इन्हें किसने बनाया होगा, पहना होगा? इनकी खास बातें क्या हैं? जो थोड़ा बहुत खुद पढ़ा वो इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं, ग़ौर फ़रमाइएगा.
बांधनी या बंधेजसबसे पहले बात बंधेज की. कुर्ते, साड़ियों से लेकर हर तरह के कपड़े इस प्रिंट में मिल जाएंगे. ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत गुजरात के खत्री समुदाय ने की थी. बांधनी प्रिंटिंग में कपड़े को बांधकर या कहें कि गांठ लगाकर रंगाई की जाती है. जॉर्जेट, शिफॉन, सिल्क और कॉटन के कपड़ों को रंग के कुंड में डालने से पहले धागे से कसकर बांधा जाता है. रंग चढ़ने के लिए कुछ देर कपड़ों को उसी कुंड में छोड़ दिया जाता है. फिर जब इस धागे को खोला जाता है, तो बंधा हुआ हिस्सा रंगीन हो जाता है. बांधनी में उपयोग किए जाने वाले सबसे आम पैटर्न में डॉट्स, स्क्वायर और पैस्ले शामिल हैं. खासकर, गुजरात और राजस्थान में ये प्रिंट काफी फेमस है.
ब्लॉक प्रिंटिंगये एक ऐसी पारंपरिक प्रिटिंग तकनीक है, जिसमें कपड़ों पर प्रिंट करने के लिए लकड़ी के ब्लॉकों का इस्तेमाल किया जाता है. डिज़ाइन बनाने के लिए लड़की के ऐसे ब्लॉक्स को डाई में डुबोया जाता है, जिस पर पहले से ही अलग-अलग तरह के डिजाइन गोदकर बनाए गए होते हैं. फिर इन ब्लॉक्स को कपड़े पर दबाया जाता है. ब्लॉक प्रिंटिंग भारत के कई हिस्सों में लोकप्रिय है, खासकर राजस्थान और गुजरात में.
कलमकारीकलमकारी यानी कलम और कारी. कलमकारी प्रिंट में सूती या रेशमी कपड़ों पर हाथ से पेंटिंग या ब्लॉक-प्रिंटिंग की जाती है. जैसा कि नाम में ही 'कलम' है तो साफ हो रहा है कि इस डिज़ाइन को बनाने के लिए कलम या ब्रश का उपयोग किया जाता है. इसमें ज्यादातर भारतीय पौराणिक कथाओं और संस्कृति की कहानियों और पात्रों की प्रिंटिंग होती है. इसके साथ-साथ फूल और जानवरों के प्रिंट भी किए जाते हैं. कलमकारी प्रिंट हाल के दिनों में काफी चलन में है. साड़ी, कुर्तों, शर्ट्स वगैरह पर इसके प्रिंट आराम से मिलेंगे. कलमकारी में थोड़ा मॉर्डन टच देकर इसे लगभग हर भारतीय वार्डरोब में पहुंचाया जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि इस प्रिंट की शुरुआत आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा क्षेत्र में हुई थी.
अजरकजैसे सब्जी मंडी में अदरक, वैसे ही कपड़ों के प्रिंट्स में अजरक होता है. माने दोनों ही चीजें लगभग हर दुकान पर उपलब्ध होती हैं. जो ब्लॉक प्रिंट खासकर ज्यामितिक प्रिंट (Geometric Print), अलग-अलग वाइब्रेंट रंगों और अपने सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है. अजरक शब्द सिंधी भाषा से आया है, जिसका मतलब है 'नीला'.
अजरक प्रिंट आमतौर पर भारत के गुजरात के कच्छ क्षेत्र से संबंधित है. यहां सदियों से इस प्रिंट का प्रचलन है. हालांकि, पाकिस्तान के सिंध प्रांत और राजस्थान से भी इसकी उत्पत्ति की बात कही जाती है. इसको बनाने में ज्यादातर कॉटन या सिल्क कपड़ों का इस्तेमाल होता. रंगों की बात करें तो इसमें ज्यादातर काले, नीले (इंडिगो), हरे, लाल और पीले डाई का इस्तेमाल किया जाता है. पगड़ी और स्टोल्स में इस प्रिंट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है.
लहरियाजैसा कि नाम से समझ आ गया होगा, इस प्रिंट में तरंगों के लहरते हुए डिजाइन का इस्तेमाल किया जाता है. काफी भड़कीले और ब्राइट कलर के कपड़ों पर लहराते हुए ये डिजाइन खूब फबते हैं. ये डिजाइन टाई-डाई की मदद से तैयार किया जाता है. इसमें भी आमतौर पर कॉटन या सिल्क के कपड़ों का ही इस्तेमाल होता है. लहरिया प्रिंट आमतौर पर भारत के राजस्थान राज्य से जुड़ा है.
बाटिकबाटिक प्रिंट में भी काफी सुंदर डिजाइन उपलब्ध होते हैं. इसमें डिज़ाइन की काफी बड़ी रेंज होती है. ज्यामितीय पैटर्न, एब्सट्रैक्ट डिज़ाइन, नेचर, फूलों और जानवरों की फोटो जैसे पैटर्न इस प्रिंट में शामिल होते हैं. इसमें कभी-कभी ही चमकीले रंगों का उपयोग होता है. ज्यादातर डिजाइन में 'मिट्टी के रंगों' का इस्तेमाल होता है. बाटिक प्रिंट के कपड़े देश के कई हिस्सों में तैयार किए जाते हैं- गुजरात, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश.
बागइस प्रिंट के डिजाइन में काफी डिटेलिंग की जाती है. इस तकनीक की उत्पत्ति भारत के मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव बाग में हुई. बाग प्रिंट लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग करके कपड़े पर हाथ से प्रिंट किए गए पैटर्न द्वारा बनाए जाते हैं. खास बात ये है कि इसमें नैचुरल पिगमेंट और रंगों का प्रयोग होता है.
इकत'इकत' इंडोनेशियाई शब्द 'मेंगिकाट' से आया है जिसका अर्थ है 'बांधना'. इस डिजाइन के आखिर में एक ब्लर इफेक्ट दिखता है. इकत प्रिंट की पहचान अक्सर उनके बोल्ड ज्यामितीय पैटर्न और चमकीले रंगों से होती है. ये भारत में अधिकतर आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना राज्यों में पाए जाते हैं.
सांगानेरीइन सबके अलावा राजस्थान का सांगानेरी प्रिंट भी इस सीजन का फेवरेट बना हुआ है. इसमें कलियों, फूलों, पत्तियों, आमों और यहां तक कि झुमकों के सुंदर पैटर्न शामिल होते हैं. राजस्थान से शुरू होकर ये प्रिंट आसपास के राज्य जैसे गुजरात में भी काफी प्रचलित हुआ.
इस लिस्ट में बांगरू, पटोला जैसे कई और प्रिंट रह गए हैं. आपके शहर का सबसे फेमस प्रिंट कौन सा है और आपका फेवरेट प्रिंट इनमें से कौन सा है, हमें कमेंट में जरूर बताएं.
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